छूट का कारोबारियों पर अनुचित दबाव बना रहे ट्रांसपोर्टर
केंद्रीय ई-वे बिल में ट्रांसपोर्टरों को एक बड़ी राहत मिल गई है लेकिन ट्रांसपोर्टर इसका गलत फायदा उठा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्रीय ई-वे बिल में ट्रांसपोर्टरों को एक बड़ी राहत मिल गई है। यदि पूरे ट्रक में 50 हजार रुपये से नीचे की इनवाइस हैं तो उन्हें इसके लिए अपनी तरफ से कोई ई-वे बिल जेनरेट नहीं करना पड़ेगा। इस छूट का लाभ उठाते हुए प्रदेश के अंदर माल भेजने वाले तमाम ट्रांसपोर्टरों ने कारोबारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वे 50 हजार रुपये से कम की इनवाइस का माल ही बुकिंग के लिए भेजें। इससे कारोबारी परेशान हैं क्योंकि इससे ज्यादा कीमत के माल को भेजने के लिए या तो उन्हें किसी दूसरे ट्रांसपोर्टर की तलाश करनी पड़ रही है या उस माल को कई टुकड़ों में अलग-अलग भेजना पड़ रहा है।
31 मार्च तक राज्य द्वारा लागू ई-वे बिल में व्यवस्था थी कि कारोबारी चाहे कितना भी कम माल भेजने लेकिन अगर पूरे वाहन में सभी नग को मिलाकर उनकी कीमत 50 हजार रुपये से अधिक हो गई तो ट्रांसपोर्टर को एक समग्र ई-वे बिल जेनरेट करना पड़ता था लेकिन केंद्रीय ई-वे बिल में इस नियम में ट्रांसपोर्टरों को राहत दे दी गई।
नई स्थितियों में अगर किसी ट्रक में सभी इनवाइस 50 हजार रुपये से नीचे की हैं तो माल चाहे कितना भी हो, उस पर ट्रांसपोर्टर को ई-वे बिल अपनी तरफ से जेनरेट नहीं करना पड़ेगा। इसे देखते हुए बहुत से ट्रांसपोर्टर जो आसपास के छोटे जिलों में अपना माल ले जाते हैं, उन्होंने कारोबारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वे माल तभी स्वीकार करेंगे जब वह 50 हजार रुपये से कम की इनवाइस का होगा। उनका दबाव है कि अगर किसी एक ही कारोबारी का माल जाना है तो उसके लिए अलग-अलग दिन की इनवाइस काटें ताकि ट्रांसपोर्टर कहीं ना फंसे। किसी तरह माल बिके और खरीदार के पास पहुंच जाए, इसका प्रयास रहे कारोबारी उनकी शर्ते मानने पर मजबूर हैं।
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'इस तरह की शिकायतें बाजार में कई व्यापारियों ने की हैं। कुछ ट्रांसपोर्टर छूट का अनुचित लाभ उठा रहे हैं।
- अतुल द्विवेदी, अध्यक्ष, हटिया लोहा व्यापार मंडल।
ऐसा दबाव ठीक नहीं है। एक ही माल की कारोबारियों को अलग-अलग इनवाइस काटनी पड़ रही हैं।
- संत मिश्रा, महामंत्री, युवा उद्योग व्यापार मंडल।
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टुकड़ों में माल भेजने की शिकायत किसी ट्रांसपोर्टर के खिलाफ आती है तो उसके गोदाम व वाहनों की चेकिंग की जाएगी। गड़बड़ी पर कार्रवाई भी की जाएगी।'
- पीके मिश्रा, एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन, जोन वन, वाणिज्य कर विभाग।