62 करोड़ का लोन देने वाली कंपनी का निदेशक निकला टैक्सी चालक, इस तरह आयकर की टीम ने पकड़ा
मुखौटा कंपनियों के जरिए घुमाकर 121 करोड़ रुपये पशु आहार कंपनियां अपने कारोबार में लाईं आयकर विभाग तलाश कर रहा लोन से आया धन किन संपत्तियों को खरीदने में लगामुखौटा कंपनियों के जरिए आया धन किन संपत्तियों को खरीदने में इस्तेमाल किया गया
कानपुर, जेएनएन। दो पशु आहार समेत तीन कंपनियों में मारे गए आयकर छापे में मुखौटा कंपनियों का बड़ा घालमेल निकला है। आयकर विभाग ने पाया कि 121 करोड़ रुपये में सबसे बड़ा 62 करोड़ रुपये का लोन जिस कंपनी ने दिया है, उसका निदेशक टैक्सी चालक है। अब आयकर अधिकारी जानकारी कर रहे हैं कि मुखौटा कंपनियों के जरिए आया धन किन संपत्तियों को खरीदने में इस्तेमाल किया गया।
आयकर विभाग ने बुधवार को सुरेंद्र नाथ शिवहरे की कामधेनु कैटलफीड प्राइवेट लिमिटेड व दो अन्य कंपनियों के यहां छापा मारा तो जांच में पाया कि एक कंपनी से 62 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था। तीनों कंपनियों में लिए गए लोन में यह सबसे बड़ा था। आयकर अधिकारियों ने इस कंपनी के बारे में छानबीन की। इस पर पता चला कि वह मुखौटा कंपनी है और उसके निदेशक के रूप में जो नाम दर्ज है, वह वास्तव में टैक्सी चालक है। उसके नाम पर भी 11 बैंक खाते मुखौटा कंपनी के कर्ताधर्ता संचालित कर रहे हैं। इसके बाद लोन देने वाली दूसरी कंपनियों की जांच में 13 मुखौटा कंपनियां निकलीं।
आयकर अधिकारी अब देख रहे हैं कि इन 13 कंपनियों से लोन के जरिए जो 121 करोड़ रुपये लेने की बात कही गई है, वो धन किन संपत्तियों की खरीद में लगाया गया। आयकर अधिकारी इस कड़ी को इसलिए जोडऩा चाहते हैं ताकि बाद में जब बेनामी संपत्तियों के मामले सौंपे जाएं तो कागजात मजबूत रहें।