पांच-पांच लाख रुपये देकर पा लिये नियुक्ति पत्र, जब ज्वाइन करने पहुंचे तो चेहरे से उड़ गई खुशी Kanpur News
तीन शातिरों ने रायबरेली के चार युवाओं से 20 लाख रुपये लेकर थमा दिए डीआइजी जेल के फर्जी हस्ताक्षर वाले जवाइनिंग लेटर।
कानपुर, जेएनएन। जेल वार्डन के पद पर नौकरी का झांसा देकर तीन शातिरों ने रायबरेली के बेरोजगार युवाओं से 20 लाख रुपये हड़प लिये। भरोसा दिलाने के लिए उन्होंने डीआइजी जेल के फर्जी हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए। पीडि़त जब नौकरी ज्वाइन करने जिला जेल पहुंचे तो धोखाधड़ी का पता चला। उन्होंने कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है।
रायबरेली के डलमऊ थाना अंतर्गत संतपुर गांव निवासी महेंद्र ने बताया कि जनवरी में कोतवाली के पास एक चाय की दुकान पर एक अधेड़ व दो युवकों से मुलाकात हुई थी। अधेड़ उम्र के शख्स ने अपना नाम ब्रजेश मिश्रा बताते हुए कहा कि वह जेल अधीक्षक उन्नाव है। चार-छह लोगों को अपने स्तर से नौकरी दिलवा सकता है। साथ खड़े युवकों में एक को उसने अपना भाई डॉ. अवधेश मिश्रा और दूसरे को बेटा इंजीनियर सम्राट मिश्रा बताया। कहा कि वे सभी नौबस्ता में रहते हैं। महेंद्र उनकी बातों में आ गए और नौकरी के बारे में पूछा तो उसने कहा कि कुछ दिन पूर्व जेल पुलिस की भर्ती निकली थी, उसमें बैक डेट में फार्म भरवा देंगे। नौकरी के लिए पांच लाख रुपये का इंतजाम करने को कहा।
कुछ दिन बाद ब्रजेश ने चाय की दुकान पर बुलाकर बायोडाटा, कागजात व फोटो लेकर कहा कि और भी बेरोजगार हों तो उन्हें भी ले आना। तब महेंद्र रायबरेली भदोखर निवासी सुशील, गदागंज के सुनील कुमार, मिल एरिया निवासी मंजू देवी को भी ले आया। आरोपितों ने सभी से कागजात और दो-दो लाख रुपये ले लिये। बाकी पैसा ज्वाइनिंग लेटर आने के बाद लेने की बात कही। कुछ दिन बाद ब्रजेश ने भर्ती में रिट होने व हाईकोर्ट का आदेश कराने की बात कहकर एक-एक लाख रुपये और ले लिये। मार्च में उसने दो-दो लाख रुपये लेकर डीआइजी जेल उमेश श्रीवास्तव के नाम, हस्ताक्षर व मुहर से जारी नियुक्ति पत्र दिए। रिसीविंग के नाम पर 10 रुपये के स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर भी बनवाए।
एक अप्रैल को जब महेंद्र कानपुर जिला कारागार ज्वाइन करने पहुंचे और जेल अधीक्षक आशीष त्रिपाठी को लेटर दिखाया तो उन्होंने शासन की ओर से किसी भी तरह का आदेश आने की बात से इन्कार किया। महेंद्र ने ब्रजेश मिश्रा को फोन मिलाया लेकिन फोन स्विच ऑफ मिला। अगले दिन वह नियुक्ति पत्र लेकर लखनऊ पहुंचे। डीआइजी जेल उमेश श्रीवास्तव को पत्र दिखाया तो उन्होंने नियुक्ति पत्र फर्जी बताया। इसके बाद ब्रजेश से संपर्क किया तो उसने धमकी देकर फोन बंद कर लिया।
इनका ये है कहना
जेल वार्डन की नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से ठगी का मामला सामने आया है। पीडि़तों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिए गए थे। सर्विलांस टीम की मदद से जांच कराई जा रही है। आरोपितों पर सख्त कार्रवाई होगी।
-राजकुमार अग्रवाल, एसपी पूर्वी