तीन साल पहले पंजीकृत इंजीनियरिंग कॉलेजों की होगी जांच
एआइसीटीई के पास कई संस्थानों के छात्र और वहां की फैकल्टी की ओर से आई हैं शिकायतें
जागरण संवाददाता, कानपुर : उत्तर प्रदेश, बिहार व उत्तराखंड में तीन साल पहले पंजीकृत हुए इंजीनिय¨रग कॉलेजों पर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) की नजरें टेढ़ी हो गईं हैं। यह व्यवस्था उनकी गुणवत्ता और मानकों को परखने के लिए की गई है। परिषद के पास कई संस्थानों के छात्र और वहां की फैकल्टी की ओर से शिकायतें आई हैं, जिसके चलते निगरानी का निर्णय लिया गया। एआइसीटीई के अधिकारी धीरे-धीरे कॉलेजों की जांच करेंगे। कुछ में औचक निरीक्षण की योजना बनी है।
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मानकों की होगी पड़ताल
-छात्र और शिक्षकों का अनुपात सही है कि नहीं।
-शिक्षा की गुणवत्ता क्या है।
-प्लेसमेंट और कांफ्रेंस कितनी हुई है।
-स्टाफ की कोई समस्या तो नहीं है।
-वेतन को लेकर कोई विवाद तो नहीं है।
- एनओसी मिला है कि नहीं।
- छात्रों की प्रयोगशालाएं, इंटर्नशिप की क्या व्यवस्था है।
- व्यक्तित्व विकास, इंग्लिश स्पीकिंग की व्यवस्था।
- फैकेल्टी डेवलेपमेंट कार्यक्रम की स्थिति।
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अगले साल लग सकती पाबंदी
मानक पूरे न मिलने पर अगले साल इंजीनिय¨रग कॉलेजों पर पाबंदी लगाई जा सकती है। यह कार्रवाई 2015-16 में रजिस्टर्ड हुए अमानक संस्थानों के खिलाफ की जाएगी। वह 2019-20 के सत्र में दाखिला नहीं ले सकेंगे।
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प्रदेश के 49 संस्थानों के खिलाफ जांच
प्रदेश के 49 इंजीनिय¨रग संस्थानों के खिलाफ जनवरी में कार्रवाई हुई थी। इसमें कानपुर के तीन, लखनऊ के चार, मेरठ के 11 इंजीनिय¨रग कॉलेज शामिल हैं। उत्तराखंड के तीन संस्थानों पर भी कार्रवाई हुई थी।
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प्रदेश में कितने इंजीनिय¨रग कॉलेज
उत्तर प्रदेश में एआइसीटीई से पंजीकृत करीब 1300 इंजीनिय¨रग कॉलेज हैं। उत्तराखंड में 247 और बिहार में 152 संस्थान रजिस्टर्ड हैं।
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उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के 2015-16 में पंजीकृत हुए इंजीनिय¨रग कॉलेजों की जांच चल रही है। मानक पूरे न मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'
- डॉ. मनोज तिवारी, रीजनल डायरेक्टर, एआइसीटीई