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GSVM मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में प्रशिक्षु बन भ्रमण कर रहे तीन संदिग्ध पकड़े, पुलिस सतर्क

दो युवक व एक युवती जच्चा-बच्चा अस्पताल के वार्ड और ओपीडी का निरीक्षण कर रहे थे।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 12:13 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 12:13 PM (IST)
GSVM मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में प्रशिक्षु बन भ्रमण कर रहे तीन संदिग्ध पकड़े, पुलिस सतर्क
GSVM मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में प्रशिक्षु बन भ्रमण कर रहे तीन संदिग्ध पकड़े, पुलिस सतर्क

कानपुर, जेएनएन। चीन में कोरोना वायरस को लेकर भारत में हाई अलर्ट है और लोगों को उसके संक्रमण से बचाने के लिए केंद्र सरकार पूरी कवायद में जुटी है। अभी तक स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आ सका है कि यह वायरस आया कहां से है। ऐसे में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में स्टाफ द्वारा तीन संदिग्धों भ्रमण करते पकड़े जाने पर पुलिस सतर्क हो गई है और उनसे पूछताछ कर रही है। हालांकि तीनों मोबाइल फोन पर मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर का हस्ताक्षरयुक्त फर्जी नियुक्ति पत्र दिखा रहे हैं और उनके द्वारा बताई गई कहानी भी पुलिस के गले नहीं उतर रही है।

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इस तरह पकड़े गए दो युवक व एक युवती

बुधवार दोपहर जच्चा-बच्चा अस्पताल के पास दो युवक और एक युवती टहल रहे थे और वार्ड के अंदर की फोटो भी खींची। सुरक्षाकर्मी ने पूछताछ की तो युवती ने अपना नाम कनकलता बताते हुए खुद को एलएलआर अस्पताल का चीफ विजिटिंग ऑफीसर, युवकों गोपाल विश्वकर्मा ने मैनेजर ओपीडी एंड मैनेजर ओटी और आसिफ रियाज अंसारी ने चीफ असिस्टेंट बताया। तीनों बिठूर क्षेत्र के बैरी के रहने वाले हैं। सुरक्षाकर्मी की सूचना पर प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या ने मौके पर जाकर पूछताछ की।

फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिखाया

युवकों ने बताया कि उन्हें डॉ.आदित्य ने नियुक्ति पत्र दिया है। 90 हजार रुपये महीने वेतन की बात कही गई है। हालांकि वह डॉ. आदित्य के बारे में सही जानकारी नहीं दे पाए। प्रो. मौर्या ने डॉ. आदित्य को बुलवाया तो उन्होंने तीनों को पहचानने से इन्कार कर दिया। कई सवाल ऐसे हैं जिनसे मामला संदिग्ध लग रहा है। तीनों को स्वरूप नगर पुलिस को सौंप दिया है, पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।

पुलिस की पड़ताल में गहराया संदेह

इंस्पेक्टर स्वरूप नगर अश्विनी कुमार पांडेय ने बताया कि पूछताछ में आसिफ के मोबाइल से एक नियुक्ति पत्र मिला है, जिसमें डॉ.आदित्य के हस्ताक्षर हैं। इसके अलावा उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। तीनों ने बताया कि एक महीना पहले डॉ. सत्या नाम की महिला से उनकी मुलाकात हुई थी। उसने उन्हें हैलट में 90 हजार रुपये की नौकरी दिलाने का वादा किया और बाद में उन्हें कॉल लेटर दिखाया गया। केवल एक कॉल लेटर उनके मोबाइल पर है। इंस्पेक्टर के मुताबिक यह समझ से परे है कि बदले में तीनों से आर्थिक लाभ नहीं लिया गया। सवाल यह है कि आखिर उसने यह सब क्यों किया। जांच चल रही है।

इन सवालों के जवाब की तलाश

  • यह तीनों कौन हैं? इनका परिचय क्या है?
  • इन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र किसने दिया?
  • यह अस्पताल में कैसी रेकी कर रहे थे? एक महीने का रिकार्ड क्या है?
  • इनका इरादा क्या था?

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