सौहार्द से रोशन होता है यह जश्न-ए-चरागां
सुतरखाना में मोहम्मद साहब की यौम-ए-पैदाइश का जश्न कौमी एकता की मिसाल
जागरण संवाददाता, कानपुर : कानपुर ने 47 बरसों के दौरान हिदू-मुस्लिम भाईचारे को बनते-बिगड़ते देखा है मगर, मजाल है कि सुतरखाना में हजरत मोहम्मद साहब की यौम-ए-पैदाइश के जश्न पर इसकी आंच आए। इस मौके पर जश्न-ए-चिरागां की कमान हिदुओं के हाथ ही होती है। रात भर जागकर वे मुस्लिम भाइयों का सहयोग सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि इस इलाके में मुस्लिमों की संख्या कम है। उन्हें इस बात का अहसास नहीं हो, इसलिए जश्न-ए-चिरागां में हिदुओं की हिस्सेदारी भरपूर रहती है।
इस्लामिया अहले सुन्नत हिदू मुस्लिम कौमी एकता कमेटी की स्थापना 47 साल पहले हुई थी। उस वक्त इस कमेटी के संस्थापक विष्णु कनौजिया ने कमेटी का नामकरण किया था। बीते 25 वर्षो से सुशील यादव पिंकी इस कमेटी के अध्यक्ष हैं। 42 सदस्यीय कमेटी में तकरीबन आधे हिदू हैं और इतने ही मुसलमान। दोनों जिस तरह मिलकर यह आयोजन करते हैं, देखने लायक होता है। यूं तो इस आयोजन की तैयारियां चेहल्लुम के चांद से ही हो जाती है लेकिन, आखिरी एक हफ्ते तो देर रात तक काम चलता है। पेशे से गल्ला आढ़ती सुशील यादव कहते हैं कि रात एक से दो बजे तक काम करना पड़ता है।
सुशील बताते हैं, कमेटी में संरक्षक विधायक अमिताभ वाजपेयी, विधान परिषद के पूर्व सभापति सुखराम सिंह यादव भी हैं। हमारे पुरखों ने हमें यह जिम्मेदारी सौंपी थी। बचपन में हम खंभे गाड़ते थे। हम अपने बच्चों को यही गंगा-जमुनी तहजीब सुरक्षित सौंपना चाहते हैं। मीडिया प्रभारी श्रेष्ठ गुप्ता कहते हैं कि इस बार तुर्की के अमीर सुल्तान मस्जिद का मॉडल बनाया जा रहा है। इसके लिए गुजरात से कारीगर बुलाए गए हैं। इस आयोजन में हिदू-मुस्लिम सभी चंदा देते हैं।