Move to Jagran APP

सर्दियों में इम्यून सिस्टम दुरुस्त रखने में ये लड्डू करेंगे आपकी मदद, औषधीय गुणों से हैं भरपूर

कानपुर के आयुर्वेदाचार्य शिव प्रसाद वैद्य ने बताया कि जिस चिकित्सा पद्धति में आहार-विहार से आयु बढ़ने का ज्ञान मिलता है वह आयुर्वेद है। आयुर्वेद में ऋतु के अनुकूल खानपान व दिनचर्या अपनाने के लिए प्रेरित किया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 11:42 AM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 11:45 AM (IST)
सर्दियों में इम्यून सिस्टम दुरुस्त रखने में ये लड्डू करेंगे आपकी मदद, औषधीय गुणों से हैं भरपूर
आयुर्वेदिक नुस्खों से बने व औषधीय गुणों से भरपूर लड्डुओं का सेवन...

कानपुर, फीचर डेस्क। ठंड के मौसम में गर्म तासीर का खानपान जरूरी होता है, जिससे शरीर सर्दी के प्रकोप व विभिन्न संक्रमणों से बचा रहे और इम्युनिटी बने मजबूत। आइए जानते हैं कि इन दिनों क्यों अच्छा रहता है आयुर्वेदिक नुस्खों से बने व औषधीय गुणों से भरपूर लड्डुओं का सेवन...

loksabha election banner

महान भारतीय परंपरा व आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से विकसित हुआ च्यवनप्राश आज संपूर्ण विश्व में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वीकार किया जा रहा है। देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार समय-समय पर विभिन्न चिकित्सा पद्धतियां रोग निवारक बनकर उभरीं। आयुर्वेद जीवनशैली पर आधारित चिकित्सा पद्धति है। इसमें ऋतु के अनुसार खानपान अपनाने को कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार वात, कफ और पित्त में संतुलन बना रहे तो आपका शरीर रोगमुक्त रहेगा। आयुर्वेद में मौसम के अनुकूल खानपान के जरिए इन तीनों में संतुलन बिठाने पर जोर दिया गया है। इस चिकित्सा पद्धति की आज पूरी दुनिया सराहना कर रही है।

हमारा शरीर हर मौसम के हिसाब से प्रभावित होता है। इसीलिए विभिन्न भौगोलिक परिवेश के अनुसार खानपान की परंपरा भी शुरू हुई। सर्दियों के मौसम में खाए जाने वाले विभिन्न जड़ी-बूटियों, मसालों, मेवों, गुड़ व घी आदि से बने लड्डुओं को आयुर्वेद में औषधि माना गया है। अलसी, तिल, मेवों, सोंठ, हल्दी आदि से बनने वाले ये लड्डू औषधीय गुणों के कारण न सिर्फ ठंड, संक्रमण व बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं, बल्कि इनका सेवन विभिन्न बीमारियों के उपचार में भी होता है। हालांकि इनका सीमित सेवन करना ही उचित रहता है। इन लड्डुओं का सेवन शाम के समय दूध के साथ ठीक से चबाकर किया जाए तो अधिक फायदा मिलता है, क्योंकि आयुर्वेद में दूध को ‘जीवनीय’ कहा गया है।

इनमें पड़ने वाली जड़ी-बूटियां, सूखे मेवे और मसाले जैसे जावित्री, पिपरामूल, हल्दी, सोंठ, हरड़, इलायची, अजवाइन, गोंद आदि एंटीआक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इन लड्डुओं के मिश्रण में गुड़ व घी की अहम भूमिका होती है। गुड़ रक्तअल्पता को दूर करने के साथ ही विभिन्न पेट के रोगों को दूर करता है तो वहीं घी को आयुर्वेद में ‘दीप्तिअंतराग्नि’ यानी अंदर की पाचन अग्नि को बढ़ाने वाला बताया गया है। इनके इन्हीं गुणों के कारण आज भी लोग जब भी कोई अच्छी बात होती है तो गुड़ व घी से मुंह मीठा करने की बात करते हैं।

गुणकारी है अलसी: अलसी के बीजों को भूनकर बारीक पीस लेते हैं और इसमें अलसी से आधा या तिहाई भाग भुना आटा व आवश्यकतानुसार सोंठ, अजवाइन, इलायची, जावित्री, मखाना आदि मिलाकर गुड़ के पाग से लड्डू बनाते हैं। इन लड्डुओं का सेवन जोड़ों का दर्द, हड्डियों की कमजोरी, कब्ज, सर्दी में होने वाला सिरदर्द, अनियंत्रित कोलेस्ट्राल की समस्या, नर्वस सिस्टम की कमजोरी आदि को दूर करता है। इसके सेवन से आंतरिक गरमाहट मिलती है और मौसमी सर्दी, जुकाम व खांसी से बचाव होता है।

आयुर्वेद का एंटीबायोटिक हरीरा: हरीरा के लड्डू (विभिन्न मेवों और मसालों से तैयार होने वाले) बनाने के साथ ही इसे तरल रूप में बनाया जाता है। सदियों से प्रसवकाल के बाद महिलाओं को इसका सेवन कराया जा रहा है। वास्तव में हरीरा आयुर्वेद का एंटीबायोटिक है। आयुर्वेद के अनुसार जन्म देने के बाद यदि प्रसूता को 40 दिन तक दूध और हरीरा के लड्डळ्ओं का सेवन कराया जाए तो रक्तअल्पता व पेट की परेशानियों के साथ ही अन्य सभी शारीरिक समस्याओं का निवारण होता है। सर्दियों में हरीरा के लड्डू का सेवन सभी को करना चाहिए। इसे तैयार करने में सोंठ, अजवाइन, पिपरामूल, बादाम, मखाना, गरी, गोंद, तेल, घी आदि का प्रयोग किया जाता है। आवश्यकतानुसार इन सभी चीजों को गुड़ के पाग के साथ मिलाकर लड्डू तैयार किए जाते हैं।

तिल है इंद्रय रसायन: तिल को आयुर्वेद में ‘इंद्रय रसायन’ कहा जाता है। यह इतना गुणकारी है कि इसमें गुड़ के पाग के अतिरिक्त किसी अन्य चीज को मिलाने की जरूरत ही नहीं होती है। तिल को भूनकर इसके लड्डू गुड़ के पाग के साथ बनाएं। इनका सेवन सर्दी के प्रभाव को समाप्त करता है और आंख, नाक, कान, दांत आदि की समस्याएं दूर होती हैं। पेशाब संबंधी कई तरह के संक्रमण में भी इसका सेवन बहुत लाभदायक होता है।

हर रोग की दवा हल्दी: विभिन्न शोधों से यह साबित हो चळ्का है कि हल्दी का सेवन शरीर के लिए बहळ्त लाभदायक होता है। हल्दी के औषधीय गुणों की बात करें तो यह सर्दी-जळ्काम से बचाने के साथ ही कई तरह के संक्रमण से भी शरीर की रक्षा करती है। भुने हुए आटे के साथ आवश्यकतानुसार घी, गुड़ का पाग, सोंठ और इसका 10वां भाग हल्दी मिलाकर लड्डू तैयार करें। इसके सेवन से सर्दियों संबंधी समस्याओं से बचाव होता है।

पोषक तत्वों का खजाना: आयुर्वेदिक नुस्खों से बनने वाले विभिन्न प्रकार के ये औषधीय लड्डू पोषक तत्वों का खजाना हैं। हल्दी, अलसी, तिल, मेवे, गुड़, पिपरामूल, जावित्री आदि एंटीआक्सीडेंट, एंटीफंगल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर हैं। इनमें मैग्नीशियम, सेलेनियम, विटामिंस, मिनरल्स, पोटेशियम, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, आयरन, कापर आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो संक्रमणों से बचाव करने के साथ शरीर को पुष्ट करते हैं।

क्या होती है तासीर: आयुर्वेद में खानपान तासीर के हिसाब से बताया गया है। तासीर अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ठंडा या गर्म। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार मौसम या तापमान का शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए किस मौसम में कौन सी चीज खानी है और किस चीज से परहेज करना है, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.