चट्टे हैं या चट्टान, हटाने में सरकार भी नाकाम
यूं तो शहर में समस्याओं का अंबार है, लेकिन चट्टे तो जैसे कानपुर के लिए मुसीबत का काम कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : यूं तो शहर में समस्याओं का अंबार है, लेकिन चट्टे तो जैसे कानपुर ही नहीं बल्कि सरकार की साख पर धब्बे गहरे करते जा रहे हैं। पिछली सरकारों में भी इन्हें विस्थापित करने की बातें तो होती रही हैं, लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को खुद ही बड़ी गंभीरता से लिया। मगर, शायद 'काम न कर काम की फिक्र कर, फिक्र भी न कर फिक्र का जिक्र कर' के अंदाज में ही गंभीरता सिमटी रह गई। 16 दिसंबर को सरसैया घाट पर चट्टे वालों को गंगा में गंदगी बहाते महापौर ने पकड़ा तो 'एंग्री-वूमन' के स्टाइल में निर्देशों की झड़ी लगा दी। विजय नगर कॉलोनी में भी चट्टे वालों पर वह बरसीं। प्रेसवार्ता कर दावे किए कि शहर के अंदर से सभी चट्टे वाले हटेंगे। न हटने तक गोबर निस्तारण की व्यवस्था की जाएगी। इतना ही नहीं, 28 दिसंबर को इस विभाग के मुखिया नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना आए तो वह भी सीना ठोंक कर वादा कर गए कि दो माह में चट्टों की समस्या से निजात मिल जाएगी। मगर, हुआ क्या? जनता के सामने है। शहरवासी समझ नहीं पा रहे कि यह चट्टे हैं या चट्टान, जिन्हें हटाने में पूरी सरकार ही नाकाम साबित हो रही है।
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वादे-दावे और हकीकत
वादा- महापौर ने कहा था कि शहर के सभी चट्टों को बाहर विस्थापित किया जाएगा।
हकीकत- विस्थापित करना तो दूर, अभी तक चट्टे वालों की सूची भी कानपुर विकास प्राधिकरण को नहीं भेजी गई है।
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वादा- सीसीटीवी कैमरे लगाकर चट्टे वालों की निगरानी की जाएगी ताकि वह गंदगी को नाली के जरिए गंगा में न बहा सकें।
हकीकत- इस तरह की व्यवस्था बनाने के लिए नगर निगम से अब तक कागजी कसरत भी शुरू नहीं हुई है।
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वादा- जब तक चट्टे विस्थापित नहीं होंगे, तब तक गोबर निस्तारण की व्यवस्था नगर निगम करेगा। ट्रक से गोबर उठाया जाएगा, जिसका पैसा पशु पालकों से वसूला जाएगा।
हकीकत- गोबर निस्तारण की कोई व्यवस्था नगर निगम द्वारा शुरू नहीं की गई है। गोबर अब भी सड़कों और नालियों में बहता रहता है।
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नगर विकास मंत्री के वादे की हकीकत
वादा- 28 दिसंबर को शहर आए नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने वादा किया था कि दो माह के अंदर चट्टे विस्थापित कर दिए जाएंगे।
हकीकत- मंत्री के वादे को पूरा कराने के लिए अभी तक नगर निगम द्वारा कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। महापौर, नगरायुक्त या शासन से भी कोई फॉलोअप नहीं किया गया है।
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क्यों नहीं काम हो रहे है, इस पर अफसरों से पूछा जाएगा। गोबर निस्तारण के लिए अब तक क्या हुआ है, इसके बारे में भी जानकारी ली जाएगी।
- प्रमिला पाण्डेय, महापौर
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