मिन्नतों के बाद माने हैवानियत का शिकार बच्ची के परिवार वाले, खेत में किया अंतिम संस्कार
आरोपितों के पकड़े न जाने तक अंतिम संस्कार न करने पर अड़े स्वजन आश्वासन पर माने।
उन्नाव, जेएनएन। हैवानियत की शिकार हुई नौ साल की मासूम के अंतिम संस्कार के लिए प्रशासन को काफी विरोध का सामना करना पड़ा। गुनहगारों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े घर वालों के साथ ग्र्रामीण भी खड़े हो गए। इस बीच सपा के पूर्व विधायक कृपाशंकर सिंह के समझाने और प्रशासनिक अधिकारियों के कार्रवाई व मुआवजे के आश्वासन पर घर वाले बच्ची के अंतिम संस्कार को राजी हुए। खेत में ही घर वालों ने शव को दफन कर दिया।
शव पहुंचते ही बढ़ गया था ग्रामीणों में आक्रोश
बिहार थाना क्षेत्र के एक गांव में होली के दिन कक्षा तीन में पढऩे वाली नौ साल की मासूम छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के बाद दङ्क्षरदों ने गला घोंट दिया था। बच्ची की कानपुर के हैलट अस्पताल में मौत हो गई थी। बुधवार शाम पोस्टमार्टम के बाद बच्ची का शव गांव पहुंचा तो आक्रोश बढ़ गया था। प्रशासन ने रात में ही अंतिम संस्कार का प्रयास किया लेकिन घर वाले तैयार नहीं हुए और गुनहगारों की शिनाख्त और गिरफ्तारी की मांग पर अड़े थे। गुरुवार सुबह से ही अंतिम संस्कार को लेकर फिर जद्दोजहद शुरू हो गई। डीएम रवींद्र कुमार और एसपी विक्रांतवीर सुबह ही गांव पहुंच गए। अधिकारियों ने बच्ची के घर वालों को समझाने का प्रयास किया लेकिन मना नहीं सके। बच्ची के घर वालों और ग्रामीणों की नाराजगी शबाब पर थी। क्षेत्र के पूर्व विधायक ने बच्ची के घर वालों को समझाया और प्रशासनिक अधिकारियों ने मुआवजा व कार्रवाई का आश्वासन दिया तब बच्ची का अंतिम संस्कार पूर्वजों के खेत में हुआ। इस दौरान एडीएम राकेश कुमार ङ्क्षसह, एएसपी विनोद कुमार पांडेय, सीओ बीघापुर अंजनी कुमार राय व कई थाना की फोर्स भी मौजूद रहा।
42 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्कार
बच्ची ने मंगलवार शाम करीब साढ़े सात बजे इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इसके बाद पोस्टमार्टम और अन्य घटनाक्रमों के चलते करीब 42 घंटे बाद गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे अंतिम संस्कार हुआ।
उफ! कोई इतना भी क्रूर हो सकता है
उफ! कोई इतना भी क्रूर कैसे हो सकता है..। उन्नाव की नौ साल की मासूम का शव देखकर हर किसी की जुबां पर यही लफ्ज थे। गांव में तो सिर्फ लोगों ने बच्ची का शव देखा था, लेकिन उसका इलाज और पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के कलेजे कांप गए। बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म ही नहीं, कुकर्म भी किया गया था। शरीर पर चोटों के दो दर्जन से ज्यादा निशान थे। मासूम की आंतें तक फट गईं थीं। इतने से भी जी नहीं भरा तो वहशियों ने उसका गला दबा दिया। बच्ची के नाखून अब फोरेंसिक जांच के लिए भेजे जाएंगे।
ढाई घंटे तक चला पोस्टमॉर्टम
गौरतलब है उन्नाव के बिहार थानाक्षेत्र में क्रूरता की शिकार हुई बेटी की इलाज के दौरान मंगलवार शाम को हैलट अस्पताल में मौत हो गई थी। पोस्टमॉर्टम करीब ढाई घंटे तक चला, जिसके बाद शव घर वालों के सुपुर्द कर दिया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, बच्ची के साथ दरिंदों ने दुष्कर्म के साथ कुकर्म भी किया। दरिंदों की वहशीपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्ची की आंतें तक फट गई। यही नहीं बच्ची के शरीर पर दो दर्जन चोटों के निशान पाए गए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मृत्यु का असली कारण गला दबाना रहा। दरिंदों ने वारदात को अंजाम देने के बाद उसका गला दबा दिया था और मरा समझकर फरार हो गए थे। शरीर पर चोटों, दुष्कर्म व कुकर्म के चलते हुए आतंरिक रक्तस्राव के साथ गला दबाने की वजह भी बच्ची की मृत्यु का कारण बनीं। डॉक्टरों का मानना है कि वारदात को सामूहिक रुप से अंजाम दिया गया। इसमें कितने लोग शामिल थे, इसकी पुष्टि के लिए स्लाइड सुरक्षित की गई है। वहीं, डॉक्टरों ने बच्ची के नाखून भी सुरक्षित रखवाए हैं। माना जा रहा है कि घटना के समय बच्ची ने प्रतिरोध किया है और उसके नाखून में दरिंदों के खिलाफ सबूत मौजूद हैं। बच्ची के शरीर से मिले बालों को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया है।
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