गरीबों को दे रहे ऐसा दान जो बदल रहा उनका भविष्य
दान ऐसा हो जो जिंदगी बदल दे। कुछ इसी तर्ज पर बस्ती के गरीब नौनिहालों को मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी रजविंदर कौर शिक्षा और स्वास्थ्य का दान दे रहे हैं।
By Edited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 01:42 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 12:48 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर : दान ऐसा हो जो जिंदगी बदल दे। कुछ इसी तर्ज पर बस्ती के गरीब नौनिहालों को मनमोहन सिंह और उनकी पत्नी रजविंदर कौर शिक्षा और स्वास्थ्य का दान दे रहे हैं। अपने कीमती समय में प्रतिदन तीन घंटे बच्चों के साथ गुजारते हैं। इसमे दो घंटे शिक्षा और एक घंटा योगा सिखाते हैं। एक वर्ष पहले शुरू हुआ यह सफर आज करवां बन गया है।
पैराशूट फैक्ट्री में काम करने वाले मनमोहन सिंह बताते है कि पढ़ने की उम्र में पॉलीथीन व कचरा बटोर कर पेट भरने वाले बच्चों को देखा तो मन विचलित हो गया। इसके बाद सोचा कि इन बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए। पत्नी और अपने गुरु ठाकुर दिलीप सिंह को बताया तो उन्होंने कहा कि विद्या दान से बड़ा कोई दान नहीं है। इन गरीब बच्चों को पढ़ाओ और स्वाबलंबी बनाओ। इसके बाद इन बच्चों को पढ़ाने की बीड़ा उन्होंने और पत्नी ने उठाया। दादानगर पुल के नीचे शाम को बच्चों को पढ़ाने पहुंचे तो कोई बच्चा नहीं आया। इसके बाद उनके मां-बाप को समझाया तो उन्होंने भेजना शुरू किया। एक साल बाद 220 से ज्यादा बच्चे हो गए है। दादानगर पुल के पास जमीन में टाट बिछाकर बोर्ड में बच्चों को बेसिक पढ़ाई कराते है। साथ ही स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखा जाता है।
आधा घंटे योगा टीचर संजय रोज योग कराते है। इसके अलावा मंगलवार को बच्चों को संगीत की शिक्षा विनोद कुमार द्विवेदी देते है। साथ ही छात्राएं अंजिली वर्मा, शिवम गुप्ता, सोना वर्मा, मथुरा सिंह सहयोग कर रहे है। उन्होंने बताया कि अपनी कमाई का दस फीसद इन बच्चों पर खर्च करते है। बच्चों संग बनाते जन्मदिन उनके परिवार के सदस्य और दोस्त बच्चों के साथ अपना जन्मदिन, शादी की सालगिरह और त्योहार मनाते है। पार्टी में होने वाला खर्च बच्चों की पढ़ाई लिखाई में खर्च कर देते है।
पैराशूट फैक्ट्री में काम करने वाले मनमोहन सिंह बताते है कि पढ़ने की उम्र में पॉलीथीन व कचरा बटोर कर पेट भरने वाले बच्चों को देखा तो मन विचलित हो गया। इसके बाद सोचा कि इन बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए। पत्नी और अपने गुरु ठाकुर दिलीप सिंह को बताया तो उन्होंने कहा कि विद्या दान से बड़ा कोई दान नहीं है। इन गरीब बच्चों को पढ़ाओ और स्वाबलंबी बनाओ। इसके बाद इन बच्चों को पढ़ाने की बीड़ा उन्होंने और पत्नी ने उठाया। दादानगर पुल के नीचे शाम को बच्चों को पढ़ाने पहुंचे तो कोई बच्चा नहीं आया। इसके बाद उनके मां-बाप को समझाया तो उन्होंने भेजना शुरू किया। एक साल बाद 220 से ज्यादा बच्चे हो गए है। दादानगर पुल के पास जमीन में टाट बिछाकर बोर्ड में बच्चों को बेसिक पढ़ाई कराते है। साथ ही स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखा जाता है।
आधा घंटे योगा टीचर संजय रोज योग कराते है। इसके अलावा मंगलवार को बच्चों को संगीत की शिक्षा विनोद कुमार द्विवेदी देते है। साथ ही छात्राएं अंजिली वर्मा, शिवम गुप्ता, सोना वर्मा, मथुरा सिंह सहयोग कर रहे है। उन्होंने बताया कि अपनी कमाई का दस फीसद इन बच्चों पर खर्च करते है। बच्चों संग बनाते जन्मदिन उनके परिवार के सदस्य और दोस्त बच्चों के साथ अपना जन्मदिन, शादी की सालगिरह और त्योहार मनाते है। पार्टी में होने वाला खर्च बच्चों की पढ़ाई लिखाई में खर्च कर देते है।
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