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खुल गई उर्सला अस्पताल की पोल, न दवा मिली न डॉक्टर

मंडलायुक्त ने किया औचक निरीक्षण तो ड्यूटी रूम में नहीं मिला कोई डॉक्टर, पैरासिटामॉल टेलबेट भी लिखी जा रहीं थी बाहर से।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 11:36 PM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 11:36 PM (IST)
खुल गई उर्सला अस्पताल की पोल, न दवा मिली न डॉक्टर
खुल गई उर्सला अस्पताल की पोल, न दवा मिली न डॉक्टर

जागरण संवाददाता, कानपुर : मंडलायुक्त के औचक निरीक्षण में उर्सला पूरी तरह अव्यवस्थाओं से घिरा नजर आया। यहां न तो डॉक्टर मिले और न ही दवाएं। पैरासिटामाल टेबलेट को भी बाहर से खरीदने के लिए लिखा जा रहा था। इस पर मंडलायुक्त ने नाराजगी जताई और दवा लिखने वाले डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश निदेशक को दिए। उन्होंने मरीजों की समस्यायें भी सुनीं।

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मंडलायुक्त सुभाष चंद्र शर्मा मंगलवार दोपहर 2 बजे अचानक उर्सला अस्पताल पहुंच गए। वह सीधे ओपीडी ब्लॉक गए। वहां रेडियोलॉजी विभाग का निरीक्षण किया। मरीजों ने बताया कि सुबह से यहां बैठे हैं अब तक जांच नहीं हो सकी। यहां से लौटते वक्त लिफ्ट के पास गंदगी देख उन्होंने सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। यहां से मंडलायुक्त ओपीडी पहुंचे और वितरण कक्ष पर पहुंचकर अस्पताल में दवाओं के बावत जानकारी ली। यहां से इनडोर के मेडिसिन महिला वार्ड-1 पहुंचे। यहां बाबूपुरवा निवासी रमजानुल ने बताया कि खून की जांच करने के नाम पर उनसे 300 रुपये लिए गए। न दवा मिल रही है और न खाना। बिंदकी (फतेहपुर) निवासी वैष्णवी सांस की समस्या के चलते भर्ती थीं। मंडलायुक्त ने जैसे ही हाल पूछा, उसकी मां राधा फफक कर रो पड़ीं। बोलीं, साहब सभी दवाएं बाहर से खरीद रहे हैं, अस्पताल से कुछ नहीं मिलता। पहले दिन 1000 रुपये व दूसरे दिन 1300 रुपये की दवाएं और इंजेक्शन खरीद कर लाए हैं। इस पर मंडलायुक्त ने उर्सला निदेशक से पूछा कि कौन डॉक्टर इलाज कर रहा है। निदेशक ने बताया कि चेस्ट फिजीशियन डॉ. पीके सिंह। मंडलायुक्त ने अपने पीए को एक-एक दवाओं के नाम अंकित करने के निर्देश दिए और स्वयं भी दवाएं देखीं। उन्नाव के कंचननगर (शुक्लागंज) निवासी शिवानी के पेट में दिक्कत थी। उसने शिकायत की कि सुबह से न तो कोई डॉक्टर आया है और न ही कोई नर्स देखने आई है। इस पर मंडलायुक्त ने डॉक्टर एवं स्टाफ नर्स को बुलाया लेकिन कोई वहां नहीं मिला। सिर्फ वार्ड ब्वॉय आकाश ड्यूटी पर था।

ड्यूटी रूम में नहीं मिला कोई

वार्ड-1 के ड्यूटी रूम के बाहर लिखे रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी पर कोई नहीं था। मंडलायुक्त ने अंदर जाकर ड्यूटी रजिस्टर चेक किया और निदेशक को सुधार के लिए निर्देश दिए।

नौकरी करनी हैं तो नियमित बैठना पड़ेगा

मंडलायुक्त को जब पता चला कि उर्सला निदेशक डॉ. उमाकांत सप्ताह में दो-तीन दिन ही आते हैं। इस पर उन्होंने कहाकि अगर ड्यूटी करनी है तो नियमित बैठना पड़ेगा। ऐसे काम नहीं चलेगा।

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उर्सला अस्पताल का निरीक्षण किया, बहुत अव्यवस्था है। सफाई नहीं है, मरीजों का न खाना मिल रहा है और न दवाएं। डॉक्टर खुलेआम बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। सुधार के निर्देश दिए हैं, जल्द ही दोबारा देखने आएंगे। उम्मीद है सुधार दिखेगा। मरीजों का दवाब अधिक है, इसलिए एक और एक्सरे मशीन लगेगी।

- सुभाष चंद्र शर्मा, मंडलायुक्त।


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