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टीबी के मरीजों का इलाज होगा आसान, शहर में बनेगी डीएसटी लैब

दिल्ली से आई सेंट्रल टीबी डिवीजन टीम ने कराई जगह की नापजोख, गुरुवार को लगेगी योजना पर अंतिम मुहर।

By Edited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 01:41 AM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 04:32 PM (IST)
टीबी के मरीजों का इलाज होगा आसान, शहर में बनेगी डीएसटी लैब
टीबी के मरीजों का इलाज होगा आसान, शहर में बनेगी डीएसटी लैब
कानपुर, जागरण संवाददाता। टीबी रोगियों के लिए राहत भरी खबर है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में जल्द ही मरीजों की जांच के लिए एडवांस कल्चर एवं डीएसटी (ड्रग सेंस्टीविटी टेस्ट) लैब की स्थापना होगी। इससे एमडीआर टीबी के मरीजों का इलाज आसान होगा। उनके इलाज के लिए प्रत्येक तीन माह के अंतराल के बाद यह जांच जरूरी है। अभी यहां के मरीज लखनऊ और आगरा की जांच रिपोर्ट पर निर्भर हैं।
लैब के लिए मेडिकल कॉलेज के पुरानी ब्लड बैंक बिल्डिंग में इसके लिए जगह चिह्नित की गई है। बुधवार को दिल्ली से आई सेंट्रल टीबी डिवीजन की टीम ने जगह की नापजोख भी कराई। गुरुवार को इस पर अंतिम मुहर लग जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य दिया है। इसके लिए मंत्रालय ने सेंट्रल टीबी डिवीजन को कारगर कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसी के बाद से पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) में तेजी आई है। इसी को लेकर बुधवार को सेंट्रल टीबी डिवीजन की टीम में शामिल डॉ. मयंक मित्तल, डॉ. प्रशांत और डॉ. कार्तिकेयन कानपुर पहुंचे। टीम के साथ जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. जीके मिश्रा भी थे। टीम ने प्राचार्य डॉ. आरती दवे लालचंदानी से मुलाकात कर लैब के लिए चिह्नित जगह देखी। लैब के लिए 2500-3000 स्क्वायर फिट जगह चाहिए थी और यह जमीन 2600 स्क्वायर फिट है।
जिलाक्षय रोग अधिकारी डॉ. जीके मिश्रा के मुताबिक सेंट्रल टीबी डिवीजन की टीम ने प्राचार्य से मुलाकात कर लैब के लिए चिह्नित जगह देखी, जिस पर प्राचार्य ने सहमति जताई है। गुरुवार को इंजीनियर जगह देख कर लैब स्थापना की कार्ययोजना बनाएंगे। इसके लिए 64 लाख रुपये मिल चुके हैं। पूरा प्रोजेक्ट 4 करोड़ रुपये का है।
यहां होगी स्थापना
उत्तर प्रदेश में टीबी मरीजों के कल्चर एवं ड्रग सेंस्टीविटी टेस्ट के लिए कानपुर, झांसी, सैफई (इटावा) एवं इलाहाबाद में कल्चर एवं डीएसटी लैब की स्थापना होनी है। यह मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अधीन कार्य करेंगी। ऐसे होगी जांच टीबी मरीजों के बलगम में जीवित बैक्टीरिया लैब में 42 दिन में ग्रो कराएं जाएंगे। फिर उनपर दवाओं की सेंस्टीविटी टेस्ट की जाएगी। जिस दवा से बैक्टीरिया मरेगा, वही मरीज को दी जाएगी।
अभी यहां स्थापित हैं लैब
केजीएमयू (लखनऊ), बीएचयू (वाराणसी), एसएन मेडिकल कॉलेज (आगरा)

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