अब अप्रैल में ही लीजिए हरा-पीला तरबूज का स्वाद, रसीला ऐसा कि देखते ही मुंह में आ जाए पानी
कन्नौज के सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल में किसानों ने 20 हजार पौध कराई है जिसके बेहतर उत्पान की आस लगाई है। यह तरबूज अप्रैल के पहले सप्ताह से बाजार में आ जाएगा। सबसे ज्यादा कानपुर और फतेहपुर में पैदावार की उम्मीद है।
कन्नौज, जागरण संवाददाता। गर्मी के मौसम में तरबूज जितना रसीला फल शायद ही कोई दूसरा मिलता है, उसका सुर्ख लाल रंग देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन, अब लाल नहीं यह तरबूज हरे और पीले रंग में भी दिखाई देते हैं और स्वाद भी ऐसा रसीला है कि मुंह पानी-पानी आना लाजमी है। कानपुर समेत आसपास के क्षेत्र में अब छोटे आकार वाले ताइवानी तरबूज की मिठास जुबां पर ऐसी लग गई है कि बाजार में भी तेजी से मांग तेजी से बढ़ी है। इसे देखते हुए इस बार गंगा तटवर्ती जिलों में किसानों ने फसल की अच्छी पौध तैयार की है और बेहतर पैदावार की उम्मीद में है।
कन्नौज के मवई में तैयार हुई पौध : कन्नौज के उमर्दा के मवई बिबवारी में बने सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल की मदद से ताइवान के हरे व पीले तरबूज की पौध तैयार कराई है। अप्रैल में गर्मी की शुरुआत होते ही ये ताइवानी तरबूज शीतलता देने के लिए बाजार में छा जाएंगे। सेंटर की पौधशाला में कुल 20 हजार पौध तैयार की गई हैं। इसे तैयार कराने वाले कन्नौज, औरैया, इटावा, मैनपुरी, हरदोई, कानपुर व फतेहपुर के किसान हैं। ज्यादातर किसान कानपुर और फतेहपुर के हैं।
अप्रैल से बाजार में आएगा : इन किसानों ने दिल्ली से बीज लाकर पौधे तैयार कराएं हैं। इसी सप्ताह पौध किसानों को दी जाएगी, जिसे वे सीधे खेतों में लगाएंगे। अप्रैल की शुरुआत में तरबूज बाजार में आ जाएगा। सामान्य तरबूज की अपेक्षा यह महंगा बिकता है। सेंटर के प्रभारी अधिकारी डा. डीएस यादव ने बताया कि सामान्य तरबूज की खेती फरवरी में होती है। किसान खेतों में बीज डालकर फसल तैयार करते हैं और मई में फल आना शुरू होते हैं। सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल में पौध बेमौसम तैयार कर किसानों को दी जाती हैं। इससे खेत में बीज डालने का झंझट नहीं रहता है और एक माह का समय बचता है।
एक रुपये शुल्क, सौ प्रतिशत पनपती पौध : कृषि परियोजना में भारत व इजरायल के बीच अनुबंध के तहत 7.40 करोड़ रुपये से सेंटर आफ एक्सीलेंस फार वेजीटेबल बनाया गया है। यहां विशाल पाली हाउस है, जहां बेमौसम सब्जियों की पौध तैयार की जाती है। बीज देने पर किसानों से एक-एक रुपये पौध तैयार करने का शुल्क लिया जाता है। बीज न देने पर दो-दो रुपये में पौध दी जाती है। पौध रोगमुक्त होने और सौ प्रतिशत पनपने का दावा है।