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स्नान-दान से उत्तरायण में विराजे सूर्यदेव करेंगे कल्याण

दान पुण्य व गंगा स्नान का विशेष महत्व रखने वाला महापर्व है मकर संक्रांति।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 01:42 AM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 01:42 AM (IST)
स्नान-दान से उत्तरायण में विराजे सूर्यदेव करेंगे कल्याण
स्नान-दान से उत्तरायण में विराजे सूर्यदेव करेंगे कल्याण

जागरण संवाददाता, कानपुर : दान, पुण्य व गंगा स्नान का विशेष महत्व रखने वाला महापर्व मकर संक्रांति गुरुवार को शहर में विधि-विधान से मनाया जाएगा। श्रद्धालु भोर से ही गंगा के प्रमुख घाटों पर स्नान के बाद पूजन व दान कर पुण्य की प्राप्ति करेंगे। सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का पर्व होता है। भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश के मुताबिक स्नान, दान व पूजन के लिए सुबह आठ बजकर दस मिनट से शुभ योग शुरू होकर पूरे दिन रहेगा। इस दिन 14 वस्तुओं के दान करने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन से हरिद्वार में कुंभ भी शुरू होगा। गंगास्नान, दान और भगवान भास्कर का पूजन कर श्रद्धालु जरुरतमंदों में अनाज, खिचड़ी व वस्त्र का दान करेंगे। कोविड के चलते इस बार गंगा तटों पर मकर संक्रांति मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। श्रद्धालु भोर से ही बिठूर, गंगा बैराज, सरसैया घाट, परमट घाट व मैस्कर घाट पर स्नान पूजन करेंगे।

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दान का विशेष महत्व

इस महापर्व पर दान का विशेष महत्व है। गुड़, तिल, खिचड़ी, कंबल व अन्न का दान करना श्रेयकर होता है। इस दिन का पौराणिक महत्व भी है। शास्त्रों में चावल को चंद्रमा, काली उड़द की दाल को शनि, हल्दी को बृहस्पति, नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है। हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इसलिए इस दिन खिचड़ी का दान करना शुभकारी होता है।

मकर संक्रांति को माना जाता है सकारात्मकता का प्रतीक

शास्त्रों मे दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मक समय तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इस दिन मंत्रोच्चारण के साथ गंगा स्नान व पूजन के बाद तट पर ही अन्न, खिचड़ी व गर्म कपड़ों का दान करने से सकारात्मकता का भाव मन में आता है।

बाजारों में रही गजक व लड्डू की खूब डिमांड

मकर संक्रांति के पर्व पर तिल, गुड़ की गजक व लड्डू का दान व पूजन करना और खिचड़ी के साथ ग्रहण करना शुभ माना जाता है। बुधवार को गजक व लड्डू के प्रमुख बाजार हीरागंज व हूलागंज में दिनभर खरीदारों की भीड़ रही। कारोबारी जीतू ने बताया कि रेट में कोई खास अंतर नहीं आया है। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी तिल के लड्डू 300 रुपये किलो रहे। वहीं, गजक 180 रुपये किलो से शुरुआत, मूंगफली की पट्टी 140 रुपये तक बिकी। उन्होंने बताया कि सर्दी के कारण गजक की खूब डिमांड बाजारों में रही।


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