बिजली उत्पादन में सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी से कम होगा प्रदूषण
सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी से काफी लाभ मिलेगा। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का खतरा कम हो जाएगा। अमेरिका, चीन, जापान भी इस पर काम कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : नई टेक्नोलॉजी से किसी भी औद्योगिक इकाई की उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। बिजली उत्पादन में भी यही फार्मूला है। इसमें सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के जरिए बेहतर उत्पाद किया जा सकता है। आइआइटी के डीन ऑफ एकेडमिक कार्यालय में सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी पर आयोजित कार्यशाला में गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बीएचईएल, हरिद्वार के अधिकारी मनीष सचान ने यह भी स्पष्ट किया कि नई तकनीक लगाने से पहले मैनपावर का भी ध्यान रखना होगा। अगर स्टाफ की संख्या कम हुई तो असर तकनीक पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी से काफी लाभ मिलेगा। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण का खतरा कम हो जाएगा। अमेरिका, चीन, जापान भी इस पर काम कर रहे हैं।
कार्यशाला में बिजली विभाग के इंजीनियर और कई शिक्षण संस्थानों की फैकल्टी शामिल हुई। एयरोस्पेस इंजीनिय¨रग विभाग के प्रो. डीपी मिश्रा और सेवानिवृत प्रो. केशवकांत ने भी तकनीक पर व्याख्यान दिया।
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टर्मिनेट हुए 45 छात्रों को राहत
आइआइटी में खराब अंक आने पर टर्मिनेट किए गए 62 में से 45 छात्रों को राहत मिल गई है। बाकी बचे 17 से स्पष्टीकरण लेकर उन्हें नौ हफ्ते की मोहलत दी गई है। उन्हें समर सेमेस्टर में 25 क्रेडिट्स पूरे करने हैं। सामान्य सेमेस्टर में छात्रों को 35 से 60 क्रेडिट्स पूरे करने होते हैं। 60 क्रेडिट्स अधिकतर गोल्ड मेडलिस्ट छात्र पूरा कर पाते हैं। आइआइटी में गुरुवार को निदेशक अभय करंदीकर की अगुवाई में सीनेट की बैठक बुलाई गई। इसमें राष्ट्रपति के आगमन की तैयारियों और नए सत्र में दाखिले को लेकर विचार विमर्श हुआ। सीनेट में टर्मिनेट किए गए छात्रों पर फैसला लिया गया।