Farukhabad Encounter : अनाथ हुई बच्ची का रोते हुए यही सवाल, मम्मी-पापा मेरा क्या कसूर...
पुलिस की निगरानी में सुभाष-रूबी की एक वर्षीय पुत्री कुसुम मौत के बाद भी दोनों की मां नहीं आईं।
फर्रुखाबाद, जेएनएन। 26 बच्चों को घर के अंदर बंधक बनाने वाले सिरफिरे सुभाष व उसकी पत्नी रूबी की मौत हो चुकी है पर उनकी एक साल की मासूम कुसुम को तो यह भी नहीं मालूम कि उसके सिर से माता-पिता का साया उठ चुका है। लोहिया अस्पताल के वार्ड में भर्ती बच्ची भूख लगने पर रोती है तो पुलिस या आसपास मौजूद लोग उसे बिस्किट या दूध देकर चुप करा देते हैं। वह पुलिस की निगरानी में है। सुभाष और रूबी की मां भी उसे लेने नहीं आईं। गैर बिरादरी में शादी के बाद से दोनों तिरस्कृत थे। बच्ची की परवरिश कौन करेगा, इसका अभी किसी के पास जवाब नहीं। दुनिया से अंजान ये मासूम बिना शब्द के मानो यही यही पूछ रही है कि मम्मी पापा आखिर मेरा क्या कुसूर था।
सिरफिरे के पिता ने की थीं दो शादियां
सिरफिरे सुभाष बाथम के पिता जगदीश प्रसाद की दो शादियां हुईं थीं। पहली पत्नी से राकेश और दूसरी पत्नी सुरजा देवी से सुभाष व गोङ्क्षवद पैदा हुए थे। गोङ्क्षवद की दो वर्ष पहले बीमारी से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी भी बच्चे लेकर कहीं चली गई। मां सुरजा भी सुभाष की मारपीट से तंग आकर मैनपुरी के थाना बेवर क्षेत्र के गांव अहकारीपुर निवासी अपनी बहन के यहां चली गईं। सौतेला भाई राकेश भी दूरी बनाए था। इस बीच, सुभाष ने गांव के ही वीरपाल कठेरिया की साली रूबी से चार साल पहले शादी कर ली। रूबी के दूसरी जाति की होने के कारण बिरादरी ने भी नाता तोड़ लिया था। मौत के बाद कन्नौज से रुबी की मां जयश्री भी नहीं आई।
पहली वारदात में बचा तो बन गया अपराधी
सिरफिरे अपराधी सुभाष ने 17 साल की उम्र में गांव के ही एक युवक को पीट-पीट कर बेदम कर दिया था। उस मामले में मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन उस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी। कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसका हौसला बढ़ गया और वह बड़े अपराध करने लगा। उसने अपने मौसा मेघनाथ बाथम की हत्या कर दी थी। वह उसके आपराधिक हरकतों का विरोध करते थे। इस मामले में उसे निचली अदालत से उम्रकैद की सजा हुई थी। हाईकोर्ट से उसे जमानत मिली थी।
तीन माह पहले चोरी में गया था जेल
इसके बाद करीब तीन माह पहले एसओजी ने चोरी के एक मामले में उसे जेल भेज दिया था। करीब डेढ़ माह पहले ही वह जमानत पर छूटा था। उसे शक था कि ग्र्रामीणों ने फंसाया है और इसी का बदला चुकाने के लिए वह साजिश रच रहा था। उसने बहाने से ग्र्रामीणों के बच्चों को घर बुलाकर बंधक बना लिया। गनीमत रही कि पुलिस ने समय रहते उसे मार गिराया और बच्चे सकुशल बच गए।