केंद्रीय विद्यालय के छात्रों को मेघालय की भाषा और संस्कृति का कराया जा रहा बोध
एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत सीखाई जा रही है दूसरे राज्य की भाषा कोरोना महामारी का खतरा समाप्त होने के बाद छात्रों को जाने का मौका मिलेगा छात्रों को उक्त अभियान के तहत हर साल एक राज्य की पूरी जानकारी दी जाती है।
कानपुर, जेएनएन। जब छात्र-छात्राएं 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने या किसी अन्य कारण से अन्य राज्यों में जाते हैं तो वहां की भाषा को समझने की दिक्कत होती है। हालांकि वह अपने शहर में रहकर ही दूसरे राज्यों की भाषा और संस्कृति को सीख सकें। उससे जुड़ी अन्य तमाम जानकारियां हासिल कर सकें, इसके लिए जिले के सभी केंद्रीय विद्यालयों में छात्रों को मेघालय की भाषा खासी और गारो सीखाई जा रही है। एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत हर साल होने वाले भाषा संगम कार्यक्रम के अंतर्गत रोजाना ही कुछ नया सीख रहे हैं। कोरोना महामारी का खतरा समाप्त होने के बाद छात्रों को मेघालय जाने का भी मौका मिलेगा। इसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं। छात्रों को उक्त अभियान के तहत हर साल एक राज्य की पूरी जानकारी दी जाती है।
इनका ये है कहना
इन दिनों छात्र-छात्राएं मेघालय की भाषा खासी और गारो को सीख रहे हैं। इसके अलावा वहां के लोकगीत, संस्कृति, साहित्यिक विवरण आदि की भी जानकारी ले रहे हैं। जल्द ही कुछ छात्रों को मेघालय भेजा भी जाएगा। - आरएन वडालकर, प्रधानाचार्य, केवी आइआइटी