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शौक पूरे करने के लिए छात्रों ने बनाया वाहन चोर गिरोह, पकड़े जाने पर सच आया सामने Kanpur News

पुलिस ने तीन छात्रों को गिरफ्तार कर बरामद कीं चोरी की नौ बाइक एक के पिता हैं होमगार्ड सरगना भाग निकला।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 11:41 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 10:09 AM (IST)
शौक पूरे करने के लिए छात्रों ने बनाया वाहन चोर गिरोह, पकड़े जाने पर सच आया सामने Kanpur News
शौक पूरे करने के लिए छात्रों ने बनाया वाहन चोर गिरोह, पकड़े जाने पर सच आया सामने Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। 10वीं, 11वीं और 12वीं में पढ़ रहे चार छात्रों ने ऑटो लिफ्टर गैंग बना लिया। बीयर, हुक्का बार जाने को रकम जुटाने के लिए बाइक चोरी कर पांच से 10 हजार रुपये में बेचने लगे। मंगलवार को वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने नाबालिग समेत तीन छात्रों को गिरफ्तार कर गिरोह का पर्दाफाश किया। आरोपितों के कब्जे से चोरी की नौ बाइक बरामद की गईं। पकड़े गए शातिरों में से एक के पिता पुलिस लाइन में होमगार्ड हैं।

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सावन के अंतिम सोमवार पर दर्शन करने गए सिपाही दिनेश कुमार की बाइक परमट मंदिर के पास से चोरी हो गई थी। सिपाही ने सीसीटीवी फुटेज निकलवाई तो उसमें चार युवक बाइक चुराते नजर आए। उसी फुटेज के आधार पर पुलिस वाहन चोरों की तलाश में थी।

मंगलवार को ग्वालटोली में झूला पार्क के पास चेकिंग के दौरान पुलिस ने चारों युवकों को दो बाइकों पर जाते देख रोका। पुलिस को देख एक युवक कूदकर भाग निकला लेकिन तीन को पकड़ लिया गया। थाने लाकर पूछताछ की गई तो पता लगा कि उन्होंने ही सिपाही की बाइक चोरी की थी। सख्ती से पूछताछ पर आरोपितों ने सूटरगंज की एक बंद पड़ी फैक्ट्री से सात और बाइक बरामद कराईं। सभी बाइक चोरी की गई थीं। एसपी पूर्वी राजकुमार अग्र्रवाल ने बताया, रायपुरवा के चार छात्रों ने मिलकर वाहन चोर गिरोह बना रखा था। इसमें 11वीं में पढ़ रहा एक छात्र नाबालिग है। गिरफ्तार दो छात्रों में आचार्यनगर निवासी 10वीं का छात्र विकास शुक्ला और देवनगर निवासी होमगार्ड का 12वीं में पढ़ रहा बेटा आशुतोष शुक्ला है। देवनगर निवासी 12वीं का ही छात्र निर्भय तिवारी गिरोह का सरगना है, उसकी तलाश की जा रही है।

दोस्तों के जरिये ढूंढते थे ग्र्राहक

विकास व आशुतोष ने बताया कि नाबालिग छात्र बाइक का लॉक तोडऩे में माहिर है। पहले वह एक बाइक मैकेनिक की दुकान पर नौकरी भी कर चुका है। बाइक चुराने के बाद कई दिन तक उसे बंद फैक्ट्री में खड़ा रखते थे। इसके बाद दोस्तों की मदद से ग्र्राहक ढूंढकर उन्हें पांच से 10 हजार रुपये में बेच देते थे। अब तक एक दर्जन से ज्यादा बाइक चोरी की हैं लेकिन कभी पकड़े नहीं गए थे।  


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