Move to Jagran APP

आइआइटी छात्रों ने बनाई मानवरहित पनडुब्बी, डूबे जहाज व प्राकृतिक खजाना ढूंढ़ने में आएगी काम

आइआइटी के छात्रों ने एक ऐसी मानवरहित पनडुब्बी अनाहिता बनाई है जो समुद्र की गहराई में जाकर छिपे रहस्यों को खोज निकालेगी।

By Edited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 01:37 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 12:12 PM (IST)
आइआइटी छात्रों ने बनाई मानवरहित पनडुब्बी, डूबे जहाज व प्राकृतिक खजाना ढूंढ़ने में आएगी काम
आइआइटी छात्रों ने बनाई मानवरहित पनडुब्बी, डूबे जहाज व प्राकृतिक खजाना ढूंढ़ने में आएगी काम
कानपुर, जागरण संवाददाता। आइआइटी के छात्रों ने एक ऐसी मानवरहित पनडुब्बी 'अनाहिता' बनाई है जो समुद्र की गहराई में जाकर छिपे रहस्यों को खोज निकालेगी। यह सौ फिट गहरे पानी में जाकर आठ घंटे तक खोजबीन करने में सक्षम है। दो कैमरे व चार सेंसर से लैस इस पनडुब्बी ने 'राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान' चेन्नई में हुई स्टूडेंट अंडरवाटर व्हीकल कंपटीशन में बाजी मारी। फाइनल कंपटीशन में देशभर से चुनी 14 टीमों के बीच मुकाबला रहा। इसमें पांच टीमों को अंतिम राउंड के लिए चुना गया। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच आइआइटी कानपुर प्रथम उपविजेता रहा।
एयरोस्पेस, इलेक्ट्रिकल, सिविल व मैटीरियल साइंस इंजीनिय¨रग समेत अन्य ब्रांच के 16 छात्र-छात्राओं की टीम ने यह मानवरहित पनडुब्बी बनाई जबकि टेक्निकल टीम को मिलाकर इसे बनाने में 19 सदस्यों का योगदान है। उनमें आकाश जैन, अभिनव अरोड़ा, नवीन चंद्र, आकाश सिंह, आयुष गुप्ता, इंशु नामदेव, प्रियंका प्रसाद, वंदित, आदित्य, मेधा, निलय, सक्षम, नमन, मनीष, ऋत्विक, यर्जु, बाला, वरुण व प्रतीक शामिल हैं। इसे बनाने में उन्हें साल भर का समय लगा। चेन्नई में हुए कंपटीशन के दौरान उन्होंने बारूदरहित छोटी मिसाइल को शूट करके इसकी क्षमता दिखाई। इसका प्रयोग वर्षो पहले डूब चुके जहाज व उसके अवशेष, मिसाइल ढूंढ़ने व समुद्र में छिपे प्रकृति के खजाने को तलाशने में किया जा सकता है।
पानी के अंदर आवाज सुनकर शिप का पता लगाएगा मानवरहित पनडुब्बी विकसित करने की टीम में शामिल छात्र आकाश जैन ने बताया कि इसकी बॉडी एल्युमिनियम की बनाई गई है। यह ऑटोनॉमस पनडुब्बी में दो कैमरे व चार सेंसर लगे हैं। पनडुब्बी में लगे लो लाइट कैमरे पानी के अंदर आसानी के साथ देख सकते हैं। इनमें एक सेंसर यह बताता है कि पनडुब्बी किस दिशा मे घूम रही है जबकि एक सेंसर गहराई बताता है। चूंकि इसे प्रोग्राम करके पानी में उतारा जाता है इसलिए यह अपने एरिना में काम करती है। इसे बाहर से नियंत्रित करने की जरूरत नहीं है। पनडुब्बी में हाइड्रोफोन लगाया जा रहा है जो डूबे हुए शिप का पता लगाएगा। शिप की बॉडी से निकलने वाली आवाज को यह हाइड्रोफोन ट्रेस करेगा जिससे शिप कहां पर है, इसका पता लगाया जा सकेगा।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.