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कोरोना के तनाव ने बढ़ाए सीजेरियन प्रसव

नियमित चेकअप न कराने एवं विलंब से आने की वजह से बढ़ी समस्या

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:39 PM (IST)
कोरोना के तनाव ने बढ़ाए सीजेरियन प्रसव
कोरोना के तनाव ने बढ़ाए सीजेरियन प्रसव

जागरण संवाददाता, कानपुर : कोरोना का तनाव गर्भवती महिलाओं पर भारी पड़ रहा है। अनिश्चितता के तनाव से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होना समय पूर्व प्रसव एवं सीजेरियन की वजह बन रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष के अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना काल में सामान्य के मुकाबले सीजेरियन प्रसव की संख्या बढ़ी है।

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मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष प्रो. किरन पांडेय के निर्देशन में अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में कोरोना काल से लेकर अब तक आईं गर्भवती के आंकड़ों पर अध्ययन किया गया। पता चला कि सामान्य दिनों में सीजेरियन 30 फीसद और सामान्य प्रसव 70 फीसद होते थे। कोविड काल में सीजेरियन प्रसव बढ़कर 50 फीसद तक पहुंच गए।

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यह रही वजह

फरवरी के बाद से गर्भवती नियमित चेकअप के लिए नहीं आईं। जच्चा-बच्चा अस्पताल में एंटी नेटल ओपीडी में पहले 100-150 गर्भवती आती थीं।, वहीं कोरोना काल में 5-10 ही पहुंचीं। ऐसे में उनका नियमित चेकअप हुआ न ही जरूरी इंजेक्शन लग सके।

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हाई रिस्क पर होने से बढ़ी परेशानी

कोरोना के लिए हाईरिस्क कैटेगरी में होने से गर्भवती घरों में ही दुबकी रहीं। यहां तक कि उनका चलना-फिरना भी सीमित हो गया। इससे उन्हें दूसरी समस्याएं भी शुरू हुईं, लेकिन कोरोना के डर से उन्होंने समस्या किसी से साझा नहीं की।

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डॉक्टर-गर्भवती दोनों खौफ में

कोरोना संक्रमण के डर से डॉक्टर मरीज देखने से डरते रहे।, वहीं मरीज भी डॉक्टर के पास जाने से कतराते रहे। इससे जटिलताएं बढ़ती गईं।

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तनाव से बढ़ी समस्या

कोरोना काल में गर्भवती तनाव में रहीं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ा रहा। इससे समय पूर्व प्रसव एवं गर्भपात हुए। डॉक्टरों का मानना है कि तनाव में हार्मोनल डिसबैलेंस होने से 37 सप्ताह में होने वाले प्रसव 24 से 27 सप्ताह में हुए। गर्भपात सीमित हुए, जो तनाव व हाई बीपी से हुए।

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कोरोना काल में गर्भवतियों को तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा। संक्रमण से खौफ से अस्पताल नहीं आईं, जिससे गर्भकाल के दौरान की समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ। प्रसव के लिए भी विलंब से निकलने से सामान्य प्रसव के लिए समय नहीं मिला। सीजेरियन करने पड़े। तनाव एवं ब्लड प्रेशर की वजह से 10 फीसद प्रसव समय से पहले हो गए, हालांकि गर्भपात सीमित हुए।

- प्रो. किरन पांडेय, विभागाध्यक्ष, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

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यह रही स्थिति

माह सीजेरियन नार्मल

सितंबर 141 144

अगस्त 145 147

कोविड काल 151 78


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