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रेड फिल्म जैसी कानपुर के दो अधिकारियों की कहानी

सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हुई अजय देवगन अभिनीत फिल्म रे

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Mar 2018 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 10:39 AM (IST)
रेड फिल्म जैसी कानपुर के दो अधिकारियों की कहानी

जागरण संवाददाता, कानपुर : सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हुई अजय देवगन अभिनीत फिल्म रेड की तरह ही कानपुर के दो आयकर अधिकारियों की कहानी है। इन दोनों ने हर रेड को पूरी ईमानदारी और बहादुरी से अंजाम दिया। फिल्म में जिस छापे की कहानी दिखाई गई है, वह तकरीबन उसी छापे की तरह है जो कानपुर में इन अधिकारियों ने स्टील रोलिंग मिल पर वर्ष 1980 में मारा था। इस छापे में एक करोड़ नकद व सोने के बिस्कुटों की बरामदगी हुई थी। तत्कालीन इनकम टैक्स कमिश्नर एसपी पाडेय और डिप्टी डायरेक्टर एके बटब्याल की ईमानदारी के चर्चे आज भी विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की जुबान पर हैं। दोनों अधिकारी लगभग एक ही समय कानपुर में रहे।

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एक रोलिंग मिल में छापेमारी और वहा की बरामदगी पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई। छापे में मिले एक करोड़ रुपये नकद उस समय बहुत बड़ी राशि थी। इसके अलावा सोने के 30 बिस्कुट भी मिले। सभी पर वर्ष 1946 की मुहर लगी हुई थी। आयकर के इतिहास में भी यह सबसे बड़ी बरामदगी थी। एसपी पाडेय और एके बटब्याल की विभाग और शहर में जबरदस्त ख्याति थी।

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इनाम में प्रशसा पत्र मिले

उन दिनों इनाम की कोई योजना नहीं हुआ करती थी, इसलिए टीम को अध्यक्ष की ओर से हस्ताक्षरित प्रशसा पत्र मिला। सर्विस बुक में भी इसका उल्लेख किया गया। बाद में आइआरएस एके बटब्याल केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के सदस्य के रूप में सेवानिवृत्त हुए। वह अब कोलकाता में रह रहे हैं। आइआरएस शारदा प्रसाद पाडेय मुंबई में प्रथम आयकर जाच विंग के निदेशक के पद से रिटायर हुए।

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पहली बार रिजर्व बैंक के अफसरों ने की थी गिनती

अब तो छापों में अक्सर रिजर्व बैंक के अधिकारी नकदी को गिनने के लिए बुला लिए जाते हैं, लेकिन रोलिंग मिल में हुई कार्रवाई के दौरान वह पहला मौका था जब किसी छापे में रिजर्व बैंक के अधिकारियों को नकदी गिनने के लिए बुलाया गया।

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पौने चार लाख रुपये के नोट दीमक खा गए थे

उस छापे में शामिल सभी अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके मुताबिक पौने चार लाख रुपये के नोट दीमक खा गए थे। ये नोट कपड़ों में बाध कर इधर उधर अलमारियों में भर दिए गए थे।

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रिक्शे से आफिस आते थे

पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश की कमान संभालने वाले कमिश्नर शारदा प्रसाद पाडेय की ईमानदारी की मिसाल इससे भी दी जा सकती है कि वह रोज आर्यनगर स्थित आवास से सिविल लाइंस में आफिस रिक्शे से आते थे।

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मूसानगर में संघर्ष में कई अधिकारी घायल हुए थे

दोनों ही अधिकारियों ने टीम के साथ मूसानगर में एक सराफ के यहा भी छापा मारा था। उसके कुछ समय पहले ही ग्राम पंचायत के चुनाव हुए थे। सराफ गाठ, गिरवी का भी काम करता था। गाव में आयकर अधिकारियों पर हमला कर दिया गया था। इसमें कई अधिकारी घायल हो गए थे लेकिन टीम ने छापे की कार्रवाई को बिना रोके पूरा किया। टीम पर हमला करने वाले कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।

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अधिकारियों को हमेशा पूरी ईमानदारी से काम करना चाहिए। फिल्म के ऊपर अभी कोई बात नहीं कह सकता।

-एके बटब्याल, सेवानिवृत्त सदस्य केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड।


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