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प्रोस्टेट और मूत्राशय के कैंसर व ट्यूमर की लेजर से सर्जरी, GSVS PGI में मंगाई गई अत्याधुनिक होलमियम लेजर मशीन

कानपुर के जीएसवीएसएस पीजीआइ में अत्याधुनिक होलमियम लेजर मशीन मंगाई गई है। जिससे प्रोस्टेट और मूत्राशय के कैंसर व ट्यूमर की लेजर से सर्जरी होगी। वहीं लखनऊ के एसजीपीजीआइ-केजीएमयू में ही अभी सिर्फ लेजर सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Mon, 29 Aug 2022 07:12 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2022 07:12 AM (IST)
प्रोस्टेट और मूत्राशय के कैंसर व ट्यूमर की लेजर से सर्जरी, GSVS PGI में मंगाई गई अत्याधुनिक होलमियम लेजर मशीन
कानपुर के जीएसवीएस पीजीआइ में मंगाई गई मशीनें।

कानपुर, जागरण संवाददाता। गणेश शंकर विद्यार्थी सुपर स्पेशलिटी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट (जीएसवीएसएस पीजीआइ) के यूरोलाजी विभाग में अत्याधुनिक होलमियम लेजर मशीन मंगाई गई है। इसकी मदद से बिना कांट-छांट के प्रोस्टेट ग्रंथि और मूत्राशय के कैंसर और ट्यूमर की सर्जरी आसानी से संभव होगी।

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साथ ही पेशाब की थैली (यूरिनरी ब्लाडर) की गांठें भी आसानी से काट कर हटाई जा सकेंगी। ऐसी सुविधा अभी तक सिर्फ लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) और किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में ही उपलब्ध थी। जीएसवीएसएस पीजीआइ में दो करोड़ रुपये की अत्याधुनिक मशीन मंगाई गई है।

जीएसवीएसएस पीजीआइ के नए यूरोलाजी विभाग में सुपर स्पेशलिटी पढ़ाई के साथ अत्याधुनिक इलाज की सुविधा मुहैया कराने की कवायद शुरू हो गई है। पहले चरण में यहां यूरोलाजी की ओपीडी शुरू की गई है।साथ ही होलमियम लेजर मशीन मंगाई गई है।

यूरोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. विनय कुमार ने बताया कि इस मशीन की मदद से किडनी और यूरेथ्रा की पथरी को लेजर की मदद से आसानी ने तोड़ कर निकाला जाएगा। इस मशीन की सुविधा न होने से ड्रिल के द्वारा पथरी तोड़ी जाती थी, जिससे रक्तस्राव अधिक होता था।

मूत्र मार्ग से जाकर करते हैं प्रोसिजर : डा. विनय कुमार ने बताया कि लेजर मशीन में महीन आप्टिकल फाइबर होते हैं। इसकी मदद से मूत्र मार्ग के रास्ते से जाकर प्रोसिजर किया जाता है।इसकी मदद से प्रोस्टेट के ट्यूमर व कैंसर और मूत्राशय के कैंसर व ट्यूमर की सर्जरी की जाती है।

प्रोस्टेट कैंसर व ट्यूमर से पीड़ित वैसे मरीज, जिन्हें हृदय रोग की भी समस्या होती है। इस वजह से उन्हें खून पतला करने वाली दवाएं भी चलती हैं, उनकी भी सर्जरी संभव होगी। ऐसी सर्जरी अभी बड़े सेंटरों पर ही होती थी।- डा. विनय कुमार, विभागाध्यक्ष, यूरोलाजी, जीएसवीएम मेडिकल कालेज। 


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