सर माफ कर दें, अस्पताल में बेड फुल हैं..
अच्छा जुगाड़ व पैसे से बेड मिलने की संभावना ज्यादा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : अगर आप किसी कोरोना संक्रमित मरीज को निजी अस्पताल (प्रशासन द्वारा बनाए गए कोविड अस्पताल) में भर्ती कराना चाहते हैं तो आपको सीधा जवाब मिलेगा कि बेड फुल हैं। हां आपका जुगाड़ अच्छा है और जेब में रकम भरी है तो शायद बेड मिल जाए।
अस्पताल प्रशासन का कहना है, कि एक मरीज को कम से कम सात दिनों तक भर्ती रखा जा रहा है। अगर हालत गंभीर है तो 10 से 14 दिनों का समय भी लग जाता है। जागरण की टीम ने सोमवार को नामचीन कोविड अस्पतालों में दस्तक दी तो सिर्फ एक जगह ही बेड खाली होने की जानकारी मिली।
दोपहर एक बजकर 20 मिनट पर जागरण टीम ने नंदलाल चौराहा, गोविद नगर के समीप स्थित रीजेंसी हास्पिटल में बेड की फरियाद की तो गेट पर खड़े गार्ड ने बेड न होने की बात कही। अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था देखने वाले वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कुल 75 बेड हैं जोकि फुल हैं। दो बजकर 10 मिनट पर लाजपत नगर स्थित केएमसी अस्पताल में भी मरीज को भर्ती कराने का अनुरोध किया तो बेड फुल होने की जानकारी हुई। अस्पताल के निदेशक से संपर्क किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। तो वहीं दो बजकर 30 मिनट के करीब संवाददाता सर्वोदय नगर नरेंद्र मोहन सेतु के नीचे स्थित जेएल रोहतगी अस्पताल पहुंचा तो बताया गया कि कोविड मरीजों के लिए दो वार्ड बने हैं। आइसीयू की सुविधा नहीं है। अस्पताल के कोविड इंचार्ज मुरलीधरन ने बताया कि कुल 40 बेड हैं, जिनमें से एक बेड खाली है।
दवाइयों में कर रहे कमाई
लाजपत नगर के अस्पताल में अपनी सास का इलाज करा रहे एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि 24 अप्रैल को उन्होंने सास को भर्ती कराया था। सोमवार को डिस्चार्ज कराया है। अस्पताल प्रबंधन ने लगभग डेढ़ लाख का बिल सौंपा। बोले, सबकुछ तो ठीक, पर जो दवाइयां अंदर दी जाती हैं, उसका खेल कोई नहीं पकड़ सकता।