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सॉल्वर के नाम पर फंसाते थे शिकार, असली खेल कुछ और ही

खुद एक प्रतियोगिता में सफल नहीं हो पाते सॉल्वर और परीक्षार्थी की नजर में होनहार बनते हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 06:10 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 06:10 PM (IST)
सॉल्वर के नाम पर फंसाते थे शिकार, असली खेल कुछ और ही

कानपुर, जेएनएन। शहर में पिछले दिनों रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा हो या अध्यापक भर्ती परीक्षा या फिर अन्य कोई परीक्षा, इसमें पकड़े गए सॉल्वर सिर्फ शिकार फंसाते थे। इन सॉल्वरों की इतनी भी योग्यता नहीं थी कि ये कोई परीक्षा पास कर सकते। सॉल्वर गिरोह का असली धंधा तो अभ्यर्थियों से टप्पेबाजी करना था। चार केस काफी हैं, जिससे साफ होता है कि सरकारी नौकरी की चाहत पूरी करने का ख्वाब दिखाने वाले सॉल्वर नहीं बल्कि चूना लगाने वाले टप्पेबाज हैं...।

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केस-1 : सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में सॉल्वर बना ज्वैलरी शॉप संचालक इटावा निवासी स्वतंत्रता सेनानी का पौत्र स्नातक आलोक खुद कोई परीक्षा पास नहीं कर सका। वहीं हरदोई निवासी इंटर पास हंसपाल परचून की दुकान खोलने के पैसे मिलने के लालच में सॉल्वर बना।

केस-2 : नौबस्ता में प्रयागराज निवासी अखिलेश पटेल, चकेरी में फूलपुर निवासी विनय और कल्याणपुर में प्रयागराज के ब्रजेंद्र सिंह एक डिवाइस संग पकड़े गए। यह डिवाइस उन्हें रेलवे स्टेशन पर किसी ने तीन हजार रुपये में दी थी। डिवाइस उत्तर कैसे बता रही थी, उनके साथ जांच टीम के लिए भी पहेली है।

केस-3 : पीएसी मैदान श्यामनगर में पुलिस भर्ती में दूसरे के स्थान पर दौड़ते पकड़े गए फीरोजाबाद के शीलेंद्र उर्फ ङ्क्षरकू, अतुल यादव व जफराबाद के रामनारायण खुद कोई भर्ती परीक्षा नहीं पास कर सके। अतुल व रामनारायण इंटर और शीलेंद्र हाईस्कूल पास है।

केस-4 : सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में सॉल्वर बना में सरिस्ता बलिया निवासी संजीव मिश्र अभी बीए अंतिम वर्ष में पढ़ रहा है। उसने अभी तक स्नातक भी पूरा नहीं किया है और वह सहायक अध्यापक भर्ती में सॉल्वर बनकर बैठ गया। उसकी योग्यता से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह अभ्यार्थी को शिकार बनाकर सिर्फ रुपये एंठने के प्रयास में था।

शहर में सॉल्वर गैंग का बोलबाला

कानपुर में सॉल्वर गैंग का बोलबाला काफी समय से है, लेकिन व्यापमं के बाद सुर्खियों में आया। तब इसके सरगना के तौर पर एचबीटीआइ (वर्तमान एचबीटीयू) से बीटेक करने वाले काकादेव में कोचिंग संचालक रमेश शिवहरे का नाम आया। इसके बाद शहर में पुलिस, एसटीएफ और सीबीआइ के सक्रिय होने के बाद सॉल्वर गैंग के कई गिरोह पकड़े गए। इसमें सॉल्वर बनने वाले अधिकतर इंटर पास या तैयारी करने वाले असफल छात्र थे। कुछ पैसों की लालच में फंस जाते थे, वहीं गैंग संचालक सेटिंग से दाखिला कराकर सॉल्वर का भी पैसा ले लेते थे।

कोचिंग मंडी के चलते फलफूल रहा धंधा

कानपुर में कोचिंग मंडी के चलते सॉल्वर गैंग सक्रिय हैं। उनकी आड़ में टप्पेबाजों का गिरोह चल रहा है। कम पैसा मांगने के कारण परीक्षार्थी झांसे में आ जाते है। गैंग परीक्षार्थी से नौकरी व कालेज में दाखिले के अलग और सॉल्वर की मांग पर अलग रुपये लेते हैं। चयन हुआ तो इनसे और ग्राहक फंसाए, नहीं हुआ तो गायब। खुद कोई परीक्षा पास नहीं कर पाने वाले दूसरों को सब्जबाग दिखाकर उनकी जेबें काट रहे हैं। इनके सरगना या तो फोटो स्टूडियो चला रहे हैं या फोटोकॉपी की दुकान।

शहर में पकड़े जा चुके दो दर्जन से ज्यादा सॉल्वर

एसटीएफ के पिछले दिनों के छापे में दो दर्जन से ज्यादा सॉल्वर पकड़े गए हैं। इसमें सिर्फ 9 लोग किसी प्रतियोगी परीक्षा को ही पास कर पाए थे। एसएसपी अनंतदेव तिवारी का कहना है कि युवा अपने प्रयास से परीक्षा पास करें। सॉल्वर गैंग के फेर में पडऩे पर पैसे के साथ भविष्य भी खराब होता है। पकड़े गए अधिकतर आरोपित परीक्षा में बैठने की योग्यता तक नहीं रखते। कोई संपर्क करे तो पुलिस को जरूर बताएं।


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