साहब! ये कैसी पुलिसिंग, थाने-चौकी जाने में डर रहा आम आदमी
जागरण संवाददाता कानपुर डीजी साहब! ये कैसी पुलिसिंग है। आम आदमी थाने जाने में डरता है इंस्पे
जागरण संवाददाता, कानपुर : डीजी साहब! ये कैसी पुलिसिंग है। आम आदमी थाने जाने में डरता है, इंस्पेक्टर और दारोगा से अपनी बात नहीं कह पाता। हम लोगों से फोन करने के लिए कहता है। क्या मित्र पुलिस ऐसी होती है? यह सवाल बुधवार को पूर्व विधायक सतीश निगम ने नोडल अधिकारी सीबीसीआइडी के डीजी वीरेंद्र कुमार से पूछा। पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता रघुनंदन सिंह भदौरिया ने भी यही सवाल उठाया। बताया कि परमट मंदिर के पास से मेरे बेटे का पर्स चोरी होता है और पुलिस एसएसपी के कहने पर मुकदमा दर्ज करती है। मौके पर आने वाले दारोगा सिपाही कहते हैं कि ऐसा होता रहता है।
पुलिस लाइन में आयोजित बैठक के दौरान जब जनप्रतिनिधियों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए तो वहां मौजूद पुलिस के आला अधिकारी निगाह झुकाए बैठे रहे। नोडल अधिकारी वीरेंद्र कुमार को एक-एक कर खराब कानून और यातायात व्यवस्था के बारे में जानकारी दी गई। भाजपा विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने तो यहां तक कह दिया कि यूपी 100 की पीआरवी (पुलिस रेस्पांस व्हीकल) व थाना पुलिस के बीच तालमेल ही नहीं है। सपा जिलाध्यक्ष अब्दुल मोईन खान ने हटाए गए होमगार्ड व बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था का मुद्दा उठाकर आइटीएमएस (एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली) को सख्ती से लागू कराने की मांग की। पूर्व विधायक सतीश निगम ने बीट सिपाही, चौकी प्रभारी व थानों के दिवसाधिकारी व रात्रि अधिकारी की जवाबदेही तय करने की मांग रखी। महापौर प्रमिला पांडेय ने कहा हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं लेकिन परमट चौकी पर पुलिस नहीं दिखती। जनता की समस्याएं सुनकर समाधान कराएं। इस पर एडीजी प्रेम प्रकाश ने कहा कि कोई भी सिस्टम फुल प्रूफ नहीं होता। जो कभी कमियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा।