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सांकेतिक भाषा को अस्त्र बनाकर तकनीकी पढ़ाई कर सकेंगे छात्र, सॉफ्टवेयर और टूल के माध्यम से सामान्य छात्रों की तरह कर सकेंगे प्रयोगात्मक अध्ययन

डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐसा सॉफ्टवेयर और टूल बनाने पर काम कर रहा है जिससे सांकेतिक भाषा और आसान हो जाए। सत्र 2021-22 से बीटेक व डिप्लोमा इंजीनियरिंग के मूकबधिर छात्र-छात्राओं को मिलने लगेगा सॉफ्टवेयर का लाभ।

By Rahul MishraEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 09:24 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 09:24 PM (IST)
सांकेतिक भाषा को अस्त्र बनाकर तकनीकी पढ़ाई कर सकेंगे छात्र, सॉफ्टवेयर और टूल के माध्यम से सामान्य छात्रों की तरह कर सकेंगे प्रयोगात्मक अध्ययन
मूक बधिर छात्रों की तकनीकी पढ़ाई आसान करने के लिए बनाई जा रही सांकेतिक भाषा। प्रतीकात्मक चित्र

कानपुर, जेएनएन। मूक बधिर छात्रों के लिए अब तकनीकी की पढ़ाई आसान हो जाएगी। इंजीनियङ्क्षरग के ऐसे सभी छात्रों को सांकेतिक भाषा के जरिए निपुण बनाया जाएगा। कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी, केमिकल व बायो टेक्नोलॉजी ब्रांच के अलावा डिप्लोमा इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं के लिए डॉ. आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐसा सॉफ्टवेयर और टूल बनाने पर काम कर रहा है, जिससे सांकेतिक भाषा और आसान हो जाए।

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संस्थान में सवा करोड़ रुपये से अटल शोध केंद्र की स्थापना हो रही है। यहां ऐसे उपकरण स्थापित करने की योजना है, जिससे मूकबधिर छात्र सामान्य छात्रों की तरह ही प्रयोगात्मक अध्ययन भी कर सकें। इसी केंद्र में सांकेतिक भाषा को आसान बनाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जाएगा। इसके लिए वरिष्ठ प्रोफेसरों की टीम बनाई जा रही है।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से बनाया जाएगा एप

एआइटीएच की निदेशक प्रो. रचना अस्थाना ने बताया कि मूक बधिर दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष शिक्षकों की उपलब्धता कई बार मुश्किल हो जाती है। इसीलिए संस्थान अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से एप विकसित कर रहा है, जिससे छात्र बिना शिक्षक के भी विषय को आसानी से समझ सकेंगे। वर्तमान में यहां बीटेक में 1200 व डिप्लोमा इंजीनियरिंग में सवा दो सौ छात्र हैं। इनमें तकरीबन 40 मूकबधिर दिव्यांग छात्र शामिल हैं। 


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