कोल्हापुर से 24 की जगह 44 घंटे में आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन, भूख-प्यास से बिलबिलाए 1552 प्रवासी
इटावा स्टेशन पर उतरे सभी प्रवासियों को बसों से गृह नगर के लिए रवाना किया गया।
इटावा, जेएनएन। प्रवासी कामगार परिवारों पर अब रेलवे की लेटलतीफी भारी पड़ रही है। लॉकडाउन में घर पहुंचने की उम्मीद में जैसे तैसे ट्रेन का सफर नसीब हुआ तो वह भी अब कैदखाना जैसी लगने लगी है। नियत समय से एक एक दिन देरी से पहुंच रही ट्रेनों में सवार प्रवासी कामगार भूख-प्यास से बिलबिलाने को मजबूर हैं। यह तब है जब ट्रेनों को नॉन स्टॉप एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ही पहुंचना है। ऐसी ही एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन महाराष्ट्र कोल्हापुर से चलकर 24 की बजाए 44 घंटे में इटावा स्टेशन पर आ सकी। ट्रेन से उतरकर यूपी के 1552 प्रवासी लोगों को रहात मिली और चेहरे खिल उठे।
इटावा स्टेशन पर उतरे 1552 प्रवासी
इटावा स्टेशन पर आई ट्रेन से उतरने वाले प्रवासियों में जनपद के मात्र 18 प्रवासी थे बाकी सभी पूर्वांचल के जनपदों के थे। सभी प्रवासियों को ट्रेन से उतारकर नुमाइश पंडाल में पहुंचाया गया, जहां परीक्षण के बाद उन्हें गृह नगर पहुंचाने के लिए बसों में सवार किया गया। रेलवे स्टेशन पर रश्मि बाथम, मीनाक्षी चौहान व रुचि यादव ने प्रवासियों का डाटा नोट किया। इस दौरान कई प्रवासियों ने मोबाइल नंबर भी गलत दर्ज कराए। स्टेशन अधीक्षक पीएम मीणा ने बताया कि कोल्हापुर से आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में 1552 प्रवासी उतारे गए हैं। इसमें कुशीनगर, कानपुर, कानपुर देहात, बस्ती, मिर्जापुर, गोरखपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर आदि जिलों के प्रवासी हैं।
दो दिन से नहीं मिला खाना
ट्रेन से उतरे प्रवासियों में मोहसिन कुरैशी निवासी शेषनाद बदायूं तथा आनंद सिंह निवासी इस्लामनगर बरेली, दीपेंद्र सिंह निवासी इलाहाबाद आदि ने बताया कि बच्चों सहित परिवार के साथ कोल्हापुर रेलवे स्टेशन से 22 मई को दोपहर 12 बजे ट्रेन में बैठे थे। दिन के एक बजे ट्रेन चली तो लगा कि अब घर जल्द ही पहुंच जाएंगे। रास्ते में ट्रेन भोपाल, इटारसी, गुना-ग्वालियर के रास्ते तकरीबन 44 घंटे का सफर तय करके 24 मई को इटावा जंक्शन पहुंची। दो दिन हो गए खाना नहीं मिलने से बच्चे भूख से बिलबिला गए। स्टेशन पर एक-एक बिस्कुट का पैकेट दिया गया।
भोपाल में मिला बासी खाना
प्रवासी राकेश निवासी सिद्धार्थ नगर, दिलीप निवासी सिद्धार्थनगर, अनिल कुमार निवासी महाराजगंज का आरोप है कि भोपाल में बासी खाना दिया गया, बीमार होने के डर से ज्यादातर यात्रियों ने उसे नहीं खाया। इटारसी में गरम पानी पीने को मिला, रास्ते में बहुत ही परेशानी हुई है। इटावा पहुंचने पर नुमाइश पंडाल में प्रशासन ने प्रवासियों को दोपहर का खाना उपलब्ध कराया।