हवन से नष्ट होते वायरस-बैक्टीरिया और एक सप्ताह तक शुद्ध् रहता वातारण, यहां पढ़ें कैसे बनाएं हवन सामग्री
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ के शोध में पुष्टि हो चुकी है कि हवन से 94 प्रतिशत तक वायरस बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और एक सप्ताह तक वातावरण शुद्ध् रहता है। खास मिश्रण से हवन सामग्री तैयार की जाती है।
कानपुर, ऋषि दीक्षित। नवरात्र में पूजा-पाठ के बाद हवन में आहुति देने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है। हवन से उत्पन्न औषधीय धुएं से घर के साथ-साथ वातावरण भी शुद्ध होता है। बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया (जीवाणु) और वायरस (विषाणु) भी नष्ट होते हैं। लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में हुए शोध में हवन के औषधीय धुएं की वजह से जीवाणु और विषाणुओं के नष्ट होने की पुष्टि हुई है।
कैसे बनती है हवन सामग्री
जड़ी बूटियों के जानकार वैद्य राजेश शुक्ला बताते हैं कि हवन सामग्री में छड़ीला, काचरी, बालछड़, हाऊ बेर, सुगंध बरमी, तोमर बीज, पानड़ी, नागर मोथा, बावची, कोकिला बूटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें औषधीय वनस्पति ब्राह्मी, तुलसी, गिलोई, शतावर, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, पुनर्नवा, दालचीनी, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा, अपामार्ग, भूमि आंवला और भृंगराज भी मिलाया जाता है। इसके अलावा पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल और चंदन की लकड़ी, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर और जौ को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है।
ग्रहों के अनुसार समिधा
- ग्रह-समिधा
- सूर्य- मदार
- चंद्रमा- पलाश
- मंगल- खैर
- बुध- चिड़चिड़ा
- बृहस्पति- पीपल
- शुक्र- गूलर
- शनि- शमी
- राहु- दूर्वा
- केतु- कुशा
एक बार हवन, एक सप्ताह तक शुद्ध रहता वातावरण
जड़ी बूटियों के औषधीय गुणों से युक्त मिश्रण को हवन सामग्री कहते हैं। कुंड में आम की लकड़ी, शुद्ध घी व कपूर की मदद से उत्पन्न अग्नि में हवन सामग्री की आहुति से उत्पन्न धुएं से वातावरण शुद्ध होता है। शोध में 94 प्रतिशत तक जीवाणु व विषाणु नष्ट होने का जिक्र किया गया है। साथ ही बताया गया है कि एक बार हवन करने से घर का वातावरण एक सप्ताह तक पूरी तरह शुद्ध रहता है।