शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से अाठ दिन का उपवास और 19 को विजयदशमी
देवी का आवाहन, स्थापना और विसर्जन तीनों प्रात: काल में होते हैं अभिजित मुहूर्त में व्रत प्रारंभ करना, कलश स्थापना आदि शुभ होगा।
कानपुर (जेएनएन)। शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से शुरू होगा। भगवती दुर्गा का पूजन चित्र नक्षत्र और वैधृत योग में शुरू होगा। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर सुबह 7.26 बजे तक प्रतिपदा रहेगी इसके बाद द्वितीया लगेगी। इस कारण देवी का आगमन आर्थिक और समृद्धि का कारण बनेगा।
भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश के मुताबिक अमावस्या युक्त प्रतिपदा में नवरात्र का पर्व वर्जित है। द्वितीया युक्त प्रतिपदा में पर्व शुभ माना जाता है। इस बार द्वितीया युक्त प्रतिपदा में नवरात्र शुरू होगा। वैसे देवी भागवत पुराण के अनुसार चित्र नक्षत्र और वैधृत योग में व्रत शुरू करना उचित नहीं होता है। चित्र नक्षत्र सुबह 11.01 बजे तक है और फिर 11.58 बजे से वैधृत योग योग रहेगा।
ऐसे में 11.58 के बाद ही व्रत शुरू करना शुभ और फलदायी होगा। देवी का आवाहन , स्थापना और विसर्जन ये तीनों प्रात: काल में होते हैं, लेकिन चित्र नक्षत्र और वैधृत योग समाप्त होने के पश्चात अभिजित मुहूर्त में व्रत प्रारंभ करना, कलश स्थापना आदि शुभ होगा।
पंडित पद्मेश के मुताबिक इस बार तृतीया तिथि का क्षय है और 11 अक्टूबर को गुरु का परिवर्तन भी वृश्चिक राशि में हो रहा है जो साधकों के लिए विशेष फल देने वाला होगा। 19 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा।