वरिष्ठ साहित्यकार ने IIT Students को बताया, साहित्य में किस तरह सहायक हो सकती तकनीक Kanpur News
आइआइटी कानपुर में साहित्य प्रतियोगिता में वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल बतौर निर्णायक आए।
कानपुर, जेएनएन। वरिष्ठ साहित्यकार व साहित्य अकादमी पुरस्कार से विभूषित मंगलेश डबराल ने कहा है कि समय के साथ साहित्य बदल रहा है। पहले चुनिंदा विषयों पर ही लिखा जाता था, अब विषय असीमित हैं। भूमंडलीकरण के इस दौर में साहित्य ऑनलाइन हो चुका है। जिन पुस्तकों को पढऩे के लिए हम पुस्तकालय जाया करते थे वह कंप्यूटर पर उपलब्ध हैं। साहित्य के अभी भी कई अनछुए पहलू हैं जिनकी परतें तकनीक की मदद से खोली जा सकती हैं।
आइआइटी कानपुर में आयोजित ङ्क्षहदी साहित्य प्रतियोगिता 'आमने सामने' में बतौर निर्णायक आए वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल ने बताया कि जीवनशैली बदल रही है। साहित्य भी बदल रहा है। इस बदलते साहित्य को लेकर कई चुनौतियां हैं। ऐसे पहलू हैं जिन्हें हम छू नहीं रहे। बेशक तकनीक आज बहुत तेज है, लेकिन अच्छे साहित्य को तकनीक के जरिए लोगों तक पहुंचाने के लिए सोच का दायरा बढ़ाना होगा।
भारत भूषण अग्रवाल अवार्ड से सम्मानित साहित्यकार गीत चतुर्वेदी ने तकनीकी को साहित्य का मित्र बताते हुए कहा कि युवा साहित्यकारों की संख्या बढऩे के साथ साहित्य के प्रति जागरुकता भी बढ़ी है। उन्होंने ने भी तकनीक के साथ मिलकर साहित्य को बढ़ाने पर जोर दिया। बोले कि, युवाओं में कविताएं लिखने को लेकर बहुत उत्सुकता है। आइआइटी, एनआइटी, ट्रिपल आइटी समेत देश के कई तकनीकी शिक्षण संस्थानों के कई छात्र ऐसे हैं जो कविताओं पर चर्चा करते हैं। साहित्य के प्रति उनकी जागरुकता बढ़ी है।