चित्रकूट में रोप-वे से किरए प्राकृतिक सौंदर्य का दर्शन, सैलानी कहते- क्या खूबसूरती से नवाजा है...
प्रभु श्रीराम की तपोभूमि के अलौकिक नजारे देख कर पर्यटकों का दिल खुश हो जाता है। हनुमानधारा रोप-वे से सैर करने वाले कहते हैं कि प्रकृति ने चित्रकूट को खूबसूरती से नवाजा है। यहां सैलानियों की संख्या भी बढ़ गई है।
चित्रकूट, [हेमराज कश्यप]। चित्रकूट दो शब्दों से बना है चित्र और कूट। चित्र का अर्थ दृश्य व कूट का अर्थ पर्वत है। विंध्य पर्वत श्रंखला की एक चोटी चित्रकूट में है। पर्वतीय दृश्यों का यह अनुपम स्वरूप अब तक लोग नीचे से देखने से वंचित थे लेकिन हनुमान धारा रोप-वे की रोमांचक यात्रा शुरू होने के बाद चित्रकूट के प्राकृतिक नजारे देख पर्यटक खुशी से फूले नहीं समाते हैैं। उन्हेंंं सहज यकीन नहीं होता है कि मंदाकिनी नदी, पहाड़ों और मंदिरों से सुसज्जित चित्रकूट इतना खूबसूरत दिखता है। उनके मुंह से बरबस ही निकल पड़ता है अद्भुत।
प्रयागराज से पति व बच्चों के साथ घूमने चित्रकूट आई उॢमला शुक्ला कहती हैं कि यहां आई तो कई बार है लेकिन आज जाना कि चित्रकूट में ही राम क्यों रुके थे। पेड़, पौधे, नदी, पहाडों व खेतों को देखकर लगा कि वाकई ये तपोभूमि है। झांसी के गौरव सक्सेना परिवार के साथ रोप-वे से सफर कर हनुमानजी के दर्शन किए। बोले कि दूसरी बार चित्रकूट आए हैं पहली बार रामघाट में मंदाकिनी स्नान व कामदगिरि की परिक्रमा की थी। इस बार जैसा चित्रकूट देखा भूलेंगे नहीं। चित्रकूट के नितिन कुछ सैलानियों को घुमाने आए थे।
उन्होंने रोप-वे का सफर करने के बाद कहा कि हमारे चित्रकूट को प्रकृति ने खूब नवाजा है। हरियाली से भरी पहाडिय़ां नयनाभिराम लगती हैैं। सतना के विरसिंहपुर से आए संजय अग्रवाल पत्नी लक्ष्मी के साथ रोप-वे से सफर किया। संजय बोले कि ऊपर जाते समय डर लग रहा था तो सिर नीचे किए थे लेकिन लौटते में थोड़ी सी आंख उठाकर चित्रकूट का प्राकृतिक दीदार किया तो डर खत्म हो गया। ऐसा लगा कि कश्मीर की वादियों के बीच है। सागर के दिनेश बड़ोनिया बोले ऊपर से देखने में चित्रकूट वाकई अद्भुत और शानदार है। यहां जैसी नदी, पहाड़ और मंदिर दूसरी जगह नहीं हैैं।