गोरखपुर के रमेश नयन शाह को जब एटीएस ने गिरफ्तार किया था, तभी से सुरक्षा एजेंसियां ने कानपुर में उससे जुड़े लोगों की तलाश में जुट गई थीं। वैसे भी आयुध के साथ ही प्रौद्योगिकी संस्थान, एयरपोर्ट व गैस प्लांट सरीखे अहम संस्थानों की वजह से कानपुर स्लीपिंग माड्यूल्स की पाठशाला माना जाता है। खुफिया रिपोर्ट और शहर में पकड़े गए आतंकी, पाकिस्तान एजेंट और नक्सली इसकी पुष्टि करते हैं। रमेश भी आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने के लिए फंड की व्यस्था कर रहा था। एनआइए द्वारा पकड़े गए आतंकियों से मिले इनपुट में कानपुर के कुछ लोगों के नाम सामने आए हैं, जो टेरर फंडिंग कर रहे थे।
सुरक्षा एजेंसी इनके बारे में और उन तक पैसा पहुंचने के माध्यम की जानकारी खंगाल रही है। बता दें, सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में विस्फोट का मास्टर माइंड गौस मोहम्मद जाजमऊ का रहने वाला था। उसके साथी मो. दानिश और आतिफ इसी इलाके के ही हैं जबकि मुठभेड़ में मारा गया सैफुल्लाह पड़ोसी था। कन्नौज का सैयद मीर हुसैन भी उसका साथी है। गौस शहर में खुरासान माड्यूल के जरिए आतंकियों की पाठशाला चला रहा था, जिसमें शहर व आसपास के करीब 75 लोग शामिल हो रहे थे।
हालांकि, एटीएस उन्हें मुख्यधारा में वापस ले आई। इसके बाद एयरफोर्स स्टेशन के पास एक घर से सिद्धि विनायक मंदिर को उड़ाने की साजिश करने वाले आतंकवादी कमरुज्जमां को पकड़ा गया था। उसके दो साथियों का अब तक पता नहीं है। उधर, रमेश शाह जिन खातों के माध्यम से टेरर फंडिंग का खेल कर रहा था, उसमें से कुछ कानपुर के भी हैं। इस जानकारी से सुरक्षा एजेंसियों ने कानपुर में सक्रियता बढ़ा दी थी।
बैंक से निष्क्रिय खातों में आने वाली रकम पर नजर
सुरक्षा एजेंसियां बैंक के निष्क्रिय खातों में अचानक रकम आने और कुछ ही दिनों बाद निकलने पर नजर रखे हुए हैं। टेरर फंडिंग में फर्जी आइडी से खुलवाए गए ऐसे ही खातों से लेनदेन किया जाता है।
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