दूर होगी स्कूलों की बदहाली, बेहतर होंगे नतीजे
सरकारी स्कूलों की बदहाली का आलम ऐसा है कि सरकारें तो बदलती रहती हैं, मगर इन विद्यालयों की हालत नहीं सुधरती है।
सरकारी स्कूलों की बदहाली का आलम ऐसा है कि सरकारें तो बदलती रहती हैं, मगर इन विद्यालयों की हालत नहीं सुधरती। टूटी खिड़कियां, कुर्सी और मेज, कमरों में अंधेरा, न्यून छात्र संख्या इनकी पहचान बन चुके हैं। आखिर स्कूलों की बदहाली का जिम्मेदार कौन है, किसकी शह पर बिना मान्यता के विद्यालय धड़ल्ले से संचालित होते हैं। ऐसे कई सवालों को लेकर संयुक्त शिक्षा निदेशक केके गुप्ता से बात की दैनिक जागरण संवाददाता समीर दीक्षित ने। उन्होंने स्कूलों की बदहाली दूर कर परीक्षा परिणाम बेहतर करने की बात कही। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश:
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प्रश्न : पर्याप्त संसाधनों के बावजूद सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की बदहाली दूर नहीं हो रही, क्या कारण हैं?
उत्तर: देखिए, ऐसा नहीं है। अगर पिछले एक साल की बात करें तो राजकीय विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे व बायोमीट्रिक मशीनें लग गई हैं। शौचालयों का निर्माण हुआ है, बिजली की व्यवस्था भी हुई है। धीरे-धीरे बदलाव सामने आएगा। सरकारी स्कूलों की बदहाली बहुत जल्द दूर करेंगे, साथ ही उनके नतीजे भी बेहतर देखने को मिलेंगे।
प्रश्न: माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए क्या कदम उठाए गए, कितनी सफलता मिली?
उत्तर : माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए लगातार कवायद की जा रही है। पाठ्यक्रम की कैसे तैयारी करानी है, यह जानकारी शिक्षकों को दी गई है। सभी स्कूलों में समय से कक्षाएं संचालित हों, इसका ध्यान रखा जा रहा है। कुछ सफलता मिली है, कुछ सफलता हासिल करनी है।
प्रश्न: मंडल के कई जिलों का परिणाम यूपी बोर्ड में औसतन या खराब रहा, क्या मानते हैं आप। क्या ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में पढ़ाई नहीं हो रही?
उत्तर: देखिए, शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की थोड़ी कमी है। जिसे दूर किया जा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि मंडल के हर जिले का परिणाम खराब रहा हो। पिछले वर्ष की तुलना में परिणाम एक समान रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई नियमित तौर पर हो रही है।
प्रश्न: शिक्षकों की समस्याएं हमेशा ही बनी रहती हैं, वह कार्यालय के रोजाना चक्कर काटते हैं। ये परंपरा कब और कैसे खत्म होगी?
उत्तर: शिक्षकों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए (जिला से निदेशालय स्तर तक) शासन ने ई-मेल आइडी तैयार कर- ष्श्रद्वश्चद्यड्डद्बठ्ठस्त्रद्गह्यद्गष्द्गस्त्रह्व@द्दद्वड्डद्बद्य.ष्श्रद्व दी। जिस पर शिक्षक अपनी शिकायत सीधे लिखकर भेज सकते हैं। उन्हें कार्यालय के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है और न ही दूसरे को लाभ पहुंचाने की।
प्रश्न: यूपी बोर्ड की व्यवस्थाओं से नाखुश होकर कई विद्यालय सीबीएसई की ओर रुख कर रहे हैं, क्या खामिया हैं वह कैसे दूर होंगी?
उत्तर: जो विद्यालय सीबीएसई की ओर अग्रसर हैं, वह एक विशेष वर्ग को प्रदर्शित करते हैं जबकि यूपी बोर्ड के विद्यालयों में समाज के मध्यम व निम्न वर्ग के बच्चों का प्रवेश होता है। उन्हें शिक्षा का समुचित अवसर प्राप्त होता है। यहां शुल्क की अधिकता भी नहीं है। दावे के साथ कह सकते हैं कि उन विद्यालयों की तुलना में हमारे यहां के अध्यापक अधिक शिक्षित व योग्य हैं।
प्रश्न: फर्जी अंकतालिका लगाकर शिक्षकों की नियुक्तियों के लगातार मामले सामने आ रहे हैं, मंडल में स्थिति क्या है? यहा दस्तावेज जाचने की क्या व्यवस्था है?
उत्तर: एलटी ग्रेड में फर्जी नियुक्तियों का सिलसिला पहले जारी रहा पर अब एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) की भर्ती मंडल स्तर पर नहीं होती। अपर शिक्षा निदेशक के स्तर पर यह कवायद शुरू की गई। वहीं चयन की कार्रवाई उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा की जा रही है।
प्रश्न : निजी स्कूलों की बढ़ी फीस को लेकर योगी सरकार में अध्यादेश जारी हो गया। तमाम शिकायतें अभिभावकों ने की हैं? कोर्ट ने भी स्कूल संचालकों की याचिका खारिज कर दी। अब क्या होगा?
उत्तर : देखिए, निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर मौजूदा सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है, उसका अनुपालन सभी को करना होगा। कहीं लापरवाही हुई तो कार्रवाई भी होगी। दो निजी स्कूलों की शिकायतें अभिभावकों ने की। संज्ञान लेकर कार्रवाई भी की गई।
प्रश्न: जनपद सहित मंडल में सैकड़ों अमान्य विद्यालय चल रहे हैं, क्या कारण हैं कि इन्हें बंद नहीं कराया जाता?
उत्तर: देखिए कारण क्या हैं, यह जवाब दे पाना थोड़ा कठिन है पर इस सत्र में ऐसे विद्यालयों को बंद कराया जाएगा। इसके लिए बाकायदा टीम बनाकर और मंडल स्तर पर प्रशासन की मदद लेकर कार्रवाई सुनिश्चित कराएंगे।
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परिचय
नाम- केके गुप्ता
पद- संयुक्त शिक्षा निदेशक (यूपीपीईएस)
शिक्षा : एमए दर्शनशास्त्र
जन्मस्थान: देवरिया
जन्मतिथि : 02.01.1964