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Scam in Kanpur : 1808 शादी अनुदान के आवेदन करने वालों को फर्जी पते पर बांट दिया धन

छह लोगों से जांच टीम इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि उन्होंने अपना पता बदल दिया था। जबकि चार लोग ऐसे थे जो अनुदान लेने वाले वर्ष के कई साल पहले मृत हो चुके थे। इसमें एक गैर जनपद निवासी महिला भी थी जिसे अनुदान मिला था।

By Akash DwivediEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 02:05 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 02:05 PM (IST)
Scam in Kanpur : 1808 शादी अनुदान के आवेदन करने वालों को फर्जी पते पर बांट दिया धन
आठ लोगों का अभिलेख जांच टीम को नहीं मिला

कानपुर, जेएनएन। शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में हुए घोटाले में दलालों के साथ राजस्व विभाग के अफसरों का रैकेट भी काम कर रहा था। यही वजह है कि फर्जी पता होने के बाद भी शादी अनुदान के 702 और पारिवारिक लाभ योजना के 1106 लोगों को अनुदान दे दिया गया। इन पतों पर ही सभी के आय प्रमाण पत्र भी बनाए गए और जो अनुसूचित जाति व पिछड़ी जाति के थे। इस मामले में अब लेखपाल और कानूनगो तो फंसेंगे ही तीन तहसीलदार और चार एसडीएम की गर्दन भी नपेगी। क्योंकि, उन्होंने भी आंख मूंदकर प्रमाण पत्र जारी किया और अनुदान स्वीकृत किया। इस घोटाले में 15 से अधिक लेखपाल निलंबित हो सकते हैं।

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शादी अनुदान व पारिवारिक लाभ योजना में घोटाला : शादी अनुदान हो या पारिवारिक लाभ योजना एसडीएम और तहसीलदार की जिम्मेदारी है कि वे कुछ आवेदन पत्रों की क्रास Checking करा लें, लेकिन किसी ने नहीं कराया। उन्हेंं आय और जाति प्रमाण पत्रों के आवेदन का भी क्रास वैरीफिकेशन कराना चाहिए था, लेकिन नहीं कराया। एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर से ही संबंधित विभागों को आनलाइन आवेदन पत्र भेजे गए और उसके बाद उन पर अनुदान जारी हुआ। शादी अनुदान में 1.87 करोड़ रुपये तो पारिवारिक लाभ योजना में 3.93 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।

बिना शादी जारी कर दिया धन : डीएम ने 4766 फार्म पारिवारिक लाभ के और 2230 फार्म शादी अनुदान के जांचने के लिए कहा था। पारिवारिक लाभ योजना में 31 सौ पात्र पाए गए। 198 अपात्र मिले, 1106 पते पर नहीं मिले तो 92 के अभिलेख जांच टीम को नहीं मिले। छह लोगों से जांच टीम इसलिए नहीं मिल सकी क्योंकि उन्होंने अपना पता बदल दिया था। जबकि चार लोग ऐसे थे जो अनुदान लेने वाले वर्ष के कई साल पहले मृत हो चुके थे। इसमें एक गैर जनपद निवासी महिला भी थी, जिसे अनुदान मिला था। दो लाभार्थियों की आय अधिक थी। इसी तरह शादी अनुदान में 1050 पात्र मिले, 211 अपात्र मिले, 702 पते पर नहीं पाए गए। आठ लोगों का अभिलेख जांच टीम को नहीं मिला। 22 ऐसे थे जिनकी शादी नहीं हुई थी। उनके नाम भी पैसा जारी हो गया। इसी तरह 31 लोगों ने जांच टीम को प्रपत्र नहीं दिखाए।

जांच में सामने आए ये तथ्य

  • 1.87 करोड़ रुपये का घोटाला शादी अनुदान में हुआ
  • 3.93 करोड़ पारिवारिक लाभ योजना में बर्बाद हुए
  • 1310 लोग पारिवारिक लाभ योजना में अपात्र मिले
  • 935 लोग शादी अनुदान योजना में अपात्र पाए गए हैं
  • 51 अधिकारियों को डीएम ने जांच के लिए लगाया था

72 लाख रुपये जांच के कारण बच गए : समाज कल्याण विभाग को सदर तहसील से इस साल 578 फार्म सत्यापित करके भेजे गए थे। समाज कल्याण अधिकारी ने उसे सदर तहसील को वापस कर दिया था। जब दोबारा इन फार्मों का सत्यापन हुआ तो इसमें 362 फार्म अपात्र मिले। अगर दोबारा जांच न होती तो इन अपात्रों को भी अनुदान मिल जाता। ऐसे में 72 लाख रुपये का और घोटाला होता।

मुकदमे के साथ वसूली का नियम : फर्जी कागजात के आधार पर अनुदान लेने वाले लाभार्थियों के विरुद्ध धोखाधड़ी और सरकारी धन के दुरुपयोग की साजिश रचने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।लेखपालों के खिलाफ भी मुकदमा होगा और लाभार्थियों के साथ उनसे भी अनुदान की राशि वसूली जाएगी।

इन लेखपालों पर हो चुकी कार्रवाई : लेखपाल लक्ष्मी शंकर पांडेय और विजय कुमार व लिपिक सुषमा कुरील को पहले ही निलंबित किया गया था। समाज कल्याण विभाग के तीन और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के दो लाभार्थियों पर पहले ही मुकदमा हो चुका है। इन मुकदमों में लेखपालों का नाम भी बढ़ाया गया है। 


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