लुटाइए नहीं, पानी को बचाइए
जल संरक्षण को लेकर तमाम जागरूकता और कवायदों के बीच लोग कितने संजीदा हैं, इसका अंदाजा खुद अपने यहां अथवा चारों ओर पानी की बर्बादी का नजारा देख लगा सकते हैं। गिरते भूगर्भ जल स्तर के आगे बूंद-बूंद सहेजने की आवश्यकता के बीच क्या आप की चिंता इस पर हुई कि वाहनों की धुलाई के नाम पर कितना पानी खर्च कर रहे हैं। पानी शुद्ध करने के लिए लगी आरओ मशीन से कितना पानी व्यर्थ नालियों में बह जाता है। टंकियां भरने के बाद ओवर फ्लो की स्थिति में कितना पानी बह जाता है। पाइप में कहीं लीकेज है तो भी पानी बर्बाद जा रहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
जल संरक्षण को लेकर तमाम जागरूकता और कवायदों के बीच लोग कितने संजीदा हैं, इसका अंदाजा खुद अपने यहां अथवा चारों ओर पानी की बर्बादी का नजारा देख लगा सकते हैं। गिरते भूगर्भ जल स्तर के आगे बूंद-बूंद सहेजने की आवश्यकता के बीच क्या आप की चिंता इस पर हुई कि वाहनों की धुलाई के नाम पर कितना पानी खर्च कर रहे हैं। पानी शुद्ध करने के लिए लगी आरओ मशीन से कितना पानी व्यर्थ नालियों में बह जाता है। टंकियां भरने के बाद ओवर फ्लो की स्थिति में कितना पानी बह जाता है। पाइप में कहीं लीकेज है तो भी पानी बर्बाद जा रहा है। शहर भर में इस बात की अनदेखी का नतीजा होता है कि लाखों लीटर पानी रोज बर्बाद होता है। इस बर्बाद होते पानी को रोकर जरूरत के दूसरे काम में भी तो लगाया जा सकता है। समय रहते संभल जाइए, गंभीर हो जाइए। आज की बचत ही आने वाले कल में जल संपदा बचाने का आधार बन सकती है। ..तो अब पानी लुटाइए नहीं, बचाइए।
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वर्षा जल के प्रति अभी भी गंभीरता नहीं
यह तथ्य बहुत स्पष्ट है और सभी इससे वाकिफ हैं कि भूगर्भ जलस्तर की बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए वर्षा जल को सहेजना होगा। तालाब और नहर सुदृढ़ करने के साथ ही रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम इसमें बेहद कारगर है। लेकिन, अफसरों की जल संरक्षण को लेकर चिंता आज भी महज कागजी है। कागजों में ही बैठक हो रही और पानी बचाने के लिए रणनीति का खाका तैयार हो रहा जबकि धरातल पर कुछ नहीं है। बारिश के पानी को बचाने के लिए मुहिम चलती है लेकिन, जब बारिश शुरू हो जाती है तब रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की याद आती है। बीते कई वर्षो से यही चला आ रहा है। शहर में आज भी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम पूरी तरह फलीभूत नहीं हो पाया है।
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पानी शुद्ध करने में रोज बह जाता तीन गुना पानी
शुद्ध पानी पीने में तीन गुना पानी बर्बाद हो जाता है। पिछले दस साल में शहर में लोगों में पीने के पानी की शुद्धता को लेकर जागरूकता बढ़ी है। वर्तमान समय में तीन लाख से ज्यादा घरों में पानी शुद्ध करने की मशीन लगी है लेकिन, शुद्धता के चक्कर में पानी की बर्बादी खूब हो रही है। एक ग्लास शुद्ध पानी पाने के लिए मशीन से तीन ग्लास पानी नालियों में बह जाता है। एक परिवार औसतन बीस लीटर पीने का पानी पीता है तो 60 लीटर पानी शुद्धता के चक्कर में बह जाता है। इस हिसाब से रोज 1.20 करोड़ लीटर पीने का पानी बर्बाद हो जाता है।
ऐसे हो सकता प्रयोग
शुद्ध करने के दौरान निकलने वाले पानी को बाल्टी में भरकर उसका प्रयोग कपड़े धोने, घर की सफाई में और पौधों की सिंचाई में खर्च कर सकते हैं।
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वाहनों को धोने में बर्बाद होता लाखों लीटर पानी
वाहनों को धोने में रोज लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। नगर निगम ने सर्विस सेंटरों में इसकी रोक लगा रखी है। इसके बाद भी चोरी छुपे सर्विस सेंटर में वाहनों की धुलाई चल रही है। प्रेशर से वाहन धोने के कारण पानी बर्बाद होता है। एयर प्रेशर के माध्यम से वाहनों को साफ किया जा सकता है। इससे लाखों लीटर रोज बर्बाद हो रहा पानी बचाया जा सकता है।
टंकियों पर भी दें ध्यान
शहर के हर घर में पीने के पानी की टंकी लगी है। पानी भरने के बाद टंकी ओवर फ्लो होने के बाद बहती रहती है। पता चलने पर मोटर बंद की जाती है। तब तक काफी पीने का पानी बह जाता है। अगर टंकी में अलार्म लगा दिया जाए तो समय पर मोटर बंद कर पानी बर्बाद होने से बचाया जा सकता है।
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लापरवाही में बर्बाद होता जल
लीकेज के चलते रोज लाखों लीटर पीने का पानी बह जाता है। जगह-जगह लगे वाल्ब भी ढीले हैं। इसके कारण पानी बहता रहता है। लीकेज ठीक हो जाए व वाल्ब बंद हो जाए तो पानी की बर्बादी बच जाएगी।