अस्पताल मा कूकुर, जमीन पर मरीज, मंत्री जी कहिन सब ठीक-ठाक है Kanpur News
शहर मा आए मंत्रीजी पूरे प्रदेश का आंकड़ा बतावत भय अपन पीठ थपथपावत कहिन सब ठीक है।
उमेश शुक्ल की अड्डेबाजी। शहर मा सरकारी व निजी अस्पतालन कै वार्ड डेंगू मरीजों से पटे पड़े हैं। अस्पताल मा भर्ती होन खातिर बेड नाहीं है, जमीन पर लिटाकर मरीजन का इलाज कीन्ह जा रहा है। और तो और ब्लड बैंक मा प्लेटलेट्स नाहीं मिल रहे। आम-आदमी जिंदगी लाने मौत से जूझ रहिन है, इय हालत के बावजूद शनिवार का शहर मा आए मंत्रीजी पूरे प्रदेश का आंकड़ा बतावत भय अपन पीठ थपथपावत कहिन सब ठीक है, जबकि हकीकत बिल्कुलै उलटै है कि परसाल कै मुकाबले इस बार शहर मा ही मरीजन कै संख्या अबतक दूनी हुई गैय है। यह बात संजय वन किदवई नगर मा मार्निंगवॉकर आपस मा बैठेय करत रहैय।
बात का आगे बढ़ावत भय शर्माजी बोले, शहर कै सरकारी अस्पताल इत्ते समय टॉमी और मोती के आरामगाह है। मंत्रीजी का प्रोटोकाल प्रशासन कै पास तो पहुंचा रहय लेकिन टॉमी कै पास कौनव सूचना नाही रहय। शनिवार को मंत्रीजी जब हैलट अस्पताल मा निरीक्षण करन पहुंचे तो उनका सामना टॉमी से हुईगा। अब टॉमी का दोष दीन्ह जाय तो ठीक ना हुइहै। पहले से ओखा मालूम होत तो वह इधर उधर टहिल लेत। अब जब मंत्रीजी से आमना सामना हुईगा तो टॉमी अपने आप से सवाल किया कि हमार कौनव का बिगाड़ लेय हमतौ यही डटे रहिबे।
शर्माजी की बात खत्म होते ही, यादव जी बोले, डेंगू की रोकथाम कै लाने शहर मा 69 टीमें बनाई गई हैैं। यह टीमें फॉगिंग के साथ लोगों को डेंगू से बचाव के उपाय भी बताएंगी। काहे से सीएम साहब कहि चुके हैं कि दोबारा डेंगू का लार्वा मिलय पर मुकदमा दर्ज कराया जाई, फिर चाहे वह घर हो या दफ्तर, सरकारी हो या निजी कौनव बची न। यह फरमान आवय कै बाद अधिकारिन के हाथ पांव पहले से ज्यादा तेज चलय लाग हैं और मंत्रीजी आल इज वेल चिल्ला रहे है। यह सब बिना होम वर्क किये बयान जारी करन का नतीजा है।
यादवजी की बात का काटत भय बिहारी काका बोले, गुरु अइसनै मंत्री तो सरकार की फजीहत करा देत हैं, जबकि सरकार हर आदमी का स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करावै खातिर जोर लगाए है। बिहारी काका की बात पूरी होत येखे पहले ठाकुर साहब बोले, सरकार का काम योजना बनावन का है, धरातल पर लावन का काम अधिकारिन का है। सरकारी अस्पतालन मा कूकुर, सूअर घूमत है। इनका देखन कै जिम्मेदारी केखी है, यह बात तो सबै जानत है। सूअर वैसन ही बीमारी का घर है और अस्पतालन मा सारा दिन पसरे रहत हैं।
ठाकुर साहब की बात काटत भय गुप्ताजी बोले, कूकुर वाले घर हमका नीक नहीं लागत। हुआं जाओ तो पहले कुकरै भौंककर स्वागत करत है। मिलने वाले से नमस्ते हुई ही नहीं कि कूकुर ने गाली दै दीहन कि क्यों यहां आया बे तेरे बाप का घर है, भाग यहां से! कुछ लोगन तौ कुतवौ से ज्यादा जहरीले होत हैं। एक परिचित का कुकरवा काटिस रहैय तो हम कहा, इन्हें कुछ न होई। हालचाल उस कुतवा का पूछो और इंजेक्शन ओहिखा लगाओ। वह चुपचाप पड़ा अपने सही वर्ग के बारे में चिन्तन कर रहा है।