सपा ने इंद्रजीत को टिकट देकर दिया निष्ठा का इनाम, जानिए-क्या है उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि
घाटमपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने डेढ़ दर्जन दावेदारों को खारिज करते हुए इंद्रजीत को टिकट देकर फिर से भरोसा जताया है वह पांच बार विधायक रहने के अलावा एनडी तिवारी सरकार में राज्यमंत्री भी रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी तेजी पकड़ ली है। सपा ने सोमवार को चार सीटों में प्रत्याशी की घोषणा करते हुए घाटमपुर सीट से इंद्रजीत कोरी को टिकट देकर निष्ठा का इनाम दिया है। सपा प्रमुख ने डेढ़ दर्जन दावेदारों के नाम खारिज करते हुए इंद्रजीत पर फिर से भरोसा जता चुनावी मैदान में उतार दिया है, वह एक बार घाटमपुर सीट और चार बार फतेहपुर की किशुनपुर सीट से विधायक रहे हैं। इसके साथ ही एनडी तिवारी सरकार में राज्यमंत्री भी रहे हैं।
फतेहपुर जिले के जहानाबाद क्षेत्र के गांव चिल्ली निवासी 77 वर्षीय इंद्रजीत वर्ष 2012 में सपा की टिकट पर घाटमपुर से विधायक चुने गए थे। उन्हें यहां टिकट को लेकर मची खींचतान के बाद पूर्व सांसद राकेश सचान लाए थे। इंद्रजीत इसके पूर्व फतेहपुर जिले की किशुनपुर (सुरक्षित) सीट से वर्ष 1968, 69, 80 व 84 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक व नारायण दत्त तिवारी की सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री रह चुके हैं। उनके पिता बद्री प्रसाद 1953 में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट, 1962 में फतेहपुर सिटी सीट और 1967 में किशुनपुर से विधायक रहे। उनकी माता सुखरानी देवी बिंदकी दक्षिणी सीट से वर्ष 1957 में विधायक चुनी गई थीं।
वर्ष 2017 के चुनाव में गठबंधन के चलते सपा नेतृत्व ने मौजूदा विधायक इंद्रजीत का टिकट काट कर कांग्रेस कोटे में दे दिया था। इसके बाद भी इंद्रजीत पूरी निष्ठा के साथ पार्टी के साथ जुड़े रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह पार्टी प्रत्याशी के साथ रहे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डेढ़ दर्जन दावेदारों को खारिज कर उप चुनाव में इंद्रजीत को टिकट दिया तो, यह उनकी निष्ठा का परिणाम माना जा रहा है।
राष्ट्रपति के रिश्तेदार भी हैं इंद्रजीत
सपा से प्रत्याशी घोषित इंद्रजीत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भी रिश्तेदार हैं। राष्ट्रपति के भांजे रामशंकर कोविंद की पुत्री बैंक में पीओ प्राची की शादी पिछले साल पांच दिसंबर को इंद्रजीत के पोते इंजीनियर अनाविल के साथ हुई थी।