कानपुर में टेंट सामग्री निर्माता के यहां वाणिज्य कर विभाग का छापा, कच्चे पर्चों पर करोड़ों की बिक्री पकड़ी
शुक्रवार को मारा गया यह छापा शनिवार सुबह खत्म हुआ।वाणिज्य कर विभाग ने परमपुरवा में शुक्रवार को दो फर्मों में छापा मारा था। दोनों ही फर्म टेंट से जुड़ी सामग्री बनाकर टेंट संचालकों को बेचती हैं। इसमें पत्नी की फर्म के पास जीएसटी का सामान्य पंजीयन है
कानपुर, जेएनएन। वाणिज्य कर विभाग ने परमपुरवा में टेंट सामग्री निर्माता दो फर्मों पर छापा मार करोड़ों रुपये की बिना टैक्स कच्चे पर्चों पर की गई बिक्री पकड़ी। ये दोनों फर्म पति पत्नी के नाम पर हैं। अधिकारियों को एक अघोषित गोदाम भी मिला जिसमें करीब 20 लाख रुपये का माल भरा हुआ था। अधिकारियों ने इसे सील कर दिया है। कच्चे पर्चों से भरा बैग लेकर भाग रहे टेंट सामग्री निर्माता के एक कर्मचारियों को वाणिज्य कर विभाग के स्टॉफ को दौड़ाकर पकडऩा पड़ा।
शुक्रवार को मारा गया यह छापा शनिवार सुबह खत्म हुआ।वाणिज्य कर विभाग ने परमपुरवा में शुक्रवार को दो फर्मों में छापा मारा था। दोनों ही फर्म टेंट से जुड़ी सामग्री बनाकर टेंट संचालकों को बेचती हैं। इसमें पत्नी की फर्म के पास जीएसटी का सामान्य पंजीयन है, वहीं पति ने समाधान योजना ले रखी है। इसी समाधान योजना के माल को कच्चे पर्चों में बेच कर कम से कम बिक्री दिखाई जाती थी। एडीशनल कमिश्नर ग्रेड वन जोन दो ओपी सिंह को कुछ दिनों पहले इसकी शिकायत मिली थी कि ये फर्म करोड़ों का माल कच्चे पर्चों पर बेच देती हैं और टैक्स नहीं चुकातीं।
इसका कच्चा बिल भी उन्हेंं भेजा गया था। एडीशनल कमिश्नर ग्रेड दो जोन दो अरविंद मिश्रा ने इसकी कई दिनों तक जांच कराई। मामला पुख्ता होने पर संयुक्त आयुक्त सुशील कुमार सिंह को टीम के साथ कार्रवाई का निर्देश दिया गया। शुक्रवार को वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा। छापा पड़ते ही टेंट हाउस का एक कर्मचारी कच्चे बिलों से भरा बैग लेकर पीछे के रास्ते से भागा जिसे टीम ने पकड़ कर बैग अपने कब्जे में ले लिया। दोनों ही परिसर आसपास के थे। दोनों में जांच के दौरान पाया गया कि पास में ही एक और गोदाम है, जिसमें दोनों ने माल रखा हुआ है। यह अघोषित गोदाम था।
दोनों फर्मों को अपना माल गोदाम में अलग अलग करने के लिए कहा गया तो वे ऐसा न कर सके। इस पर पूरे गोदाम को सील कर दिया गया। इसमें करीब 20 लाख रुपये का माल था। अधिकारियों ने अक्टूबर व नवंबर माह के कच्चे पर्चे चेक किए तो पाया कि बिना टैक्स इनवाइस काटे एक करोड़ रुपये से ज्यादा का माल बेचा गया था। जबकि पति की फर्म पिछले कुछ वर्ष में जो वाॢषक रिटर्न फाइल कर रही थी, वह आठ से 10 लाख के आसपास का था।
यह माल बनाकर बेचते हैं
टेंट लगाने वाले लोहे के पिलर, पिलर को फंसाने वाली कैंची, तंबू, कनात, पर्दे, दरी, चांदनी, मेज, कुर्सी, सोफा, रजाई, गद्दे, तकिए, चादर आदि।
इन जिलों के पर्चे मिले
सिद्धार्थ नगर, मऊ, बांदा, बहराइच, उन्नाव, प्रयागराज, आजमगढ़, सीतापुर, मौदहा, रायबरेली, कौशांबी, फतेहपुर, बस्ती, मिर्जापुर आदि।
ये अधिकारी थे टीम में
उपायुक्त चंद्रशेखर, प्रमोद कुमार, बामदेव त्रिपाठी। सहायक आयुक्त वीरेंद्र मिश्रा, ममता उपाध्याय, प्रदीप सिंह, अनिल कुमार, प्रद्युम्न गुप्ता।
इनका ये है कहना
इन फर्मों को किन लोगों ने माल बेचा और किसने इनसे माल खरीदा दोनों की सूची बनाई जा रही है। करीब 15 लाख रुपये की टैक्स वसूली होने की उम्मीद है।
सुशील कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त, वाणिज्य कर विभाग।