Safer Internet Day 2021: आइआइटी कानपुर का मास्टरप्लान साइबर अपराधियों को करेगा नाकाम, एक्सपर्ट्स की फौज तैयार
Safer Internet Day 2021 प्राय देखा जाता है कि बढ़ती तकनीक संसाधन और डिजिटलाइजेशन के समय में लोग अक्सर साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं। आइआइटी कानपुर ने ऐसे एक्सपर्ट की फौज और उपकरणों के हथियार तैयार करने की तैयारी कर ली है।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। Safer Internet Day 2021 प्रतिवर्ष फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में मनाया जाने वाला सुरक्षित इंटरनेट दिवस लोगों को बढ़ते आधुनिकीकरण के समय में जागरूक करने का विश्वव्यापी अभियान है। इस दिन का अभियान मात्र इंटरनेट के मूल्यों को वर्णन करना मात्र ही नहीं, अपितु बड़ी संख्या में विश्व के लोगों साइबर अपराध के प्रति सचेत रखने का संदेश देना भी है। प्राय: देखा जाता है कि बढ़ती तकनीक, संसाधन और डिजिटलाइजेशन के समय में लोग अक्सर साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं। फिर चाहे वो बैंक फ्रॉड हो, ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से ठगी या फिर ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान होने वाले फ्रॉड हों। तकनीक और आधुनिकता का बेहतर और सदुपयोग हो यही इस दिवस का उद्देश्य है।
ऐसी है साइबर अपराध की दुनिया
पुलिस की सक्रियता और कड़ाई से हत्या, लूट, डकैती और चोरी आदि अपराधों पर तो लगाम लगाकर निपटा जा सकता है, लेकिन वर्तमान समय में इससे भी बड़ी एक चुनौती हमारे समक्ष खड़ी है जो अपराध का डिजिटल स्वरूप है। जहां बिना गोली-चाकू मारे, घर पर हाथ साफ किए एक झटके में किसी को भी बर्बाद किया जा सकता है। यह है साइबर अपराध की दुनिया। खाते से पैसे उड़ाने से लेकर दस्तावेज चुराकर उसका दुरुपयोग कर शातिर ओझल हो जाते हैं। पीडि़त और पुलिस, दोनों हाथ मलते रह जाते हैं। आए दिन ऐसे मामलों की खबरें विचलित कर रही हैं, लेकिन राहत की बात यह है कि जल्द ही इस पर भी लगाम लगेगी।
साइबर अपराधियों से निपटेगा आइआइटी कानपुर
आइआइटी कानपुर ने ऐसे एक्सपर्ट की फौज और उपकरणों के हथियार तैयार करने की तैयारी कर ली है, जिससे साइबर घुसपैठिए नाकाम हो जाएंगे। सॉफ्टवेयर और फाइलों को नुकसान पहुंचाने की मंशा से यदि कोई आपकी वेबसाइट, ई-मेल व ऑनलाइन डाटा में घुसपैठ करता है तो वह पकड़ा जाएगा।
साइबर सिक्योरिटी पर स्टूडेंट्स साझा करेंगे अपने विचार
आइआइटी में साइबर सुरक्षा के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर और तकनीकी विकसित करने के लिए साइबर सिक्योरिटी कंपनी स्थापित की गई है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी पार्क में स्थापित इस कंपनी में प्रतिवर्ष 25 स्टार्टअप को तकनीकी विकसित करने का मौका मिलेगा। हैकिंग से बचाव के लिए यहां ऐसे उपकरण बनाए जाएंगे जो अब तक देश में कहीं नहीं बने हैं। आइआइटी के साइबर सिक्योरिटी सेंटर (सी-3 आइ) में परियोजना को सफल बनाने के लिए हाईटेक लैब बनाई गई है। देशभर में यह पहला आइआइटी है जो इस प्रकार के स्टार्टअप के लिए खुद फंडिंग करेगा। देश भर के तकनीकी शिक्षण संस्थान के छात्र-छात्राएं यहां साइबर सिक्योरिटी को लेकर अपने आइडिया शेयर कर सकेंगे। आइडिया दमदार हुआ तो संस्थान उन्हें मौका देगा। इसके अलावा जुलाई में आइआइटी में साइबर सिक्योरिटी विषय पर एमटेक कोर्स भी शुरू होने जा रहा है। कोरोना काल के बीच साइबर सिक्योरिटी इनोवेशन हब बनाया गया है। इसमें कंप्यूटर साइंस, इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग से बीटेक करने वाले छात्रों को तकनीकी पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके लिए आइआइटी ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से 196 करोड़ का अनुदान मांगा है। 100 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं।
इनका ये है कहना
साइबर सिक्योरिटी के लिए यहां पर नई तकनीकी विकसित की जाएंगी। आइआइटी ने कई ऐसे टूल बना लिए हैं जो साइबर हमले को विफल कर देंगे। सी-3 आइ में लगातार इन्हें अपडेट किया जा रहा है। - प्रो. मणींद्र अग्रवाल, प्रोग्राम डायरेक्टर सी-3 आइ, आइआइटी