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छह सालों में 28 गुना तक बढ़ गए आरटीई के प्रवेश, वर्ष 2015-16 से कानपुर में हुई थी शुरुआत

सत्र 21-22 में आरटीई से प्रवेश की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया। जो अभिभावक फॉर्म नहीं भर सकते थे उनके फॉर्म विभागीय कर्मियों ने भरे। इसका परिणाम यह रहा कि सत्र 21-22 में जो पहले चरण में आवेदन हुए उसमें 6583 फॉर्म भरे गए।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 06:45 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 06:45 PM (IST)
छह सालों में 28 गुना तक बढ़ गए आरटीई के प्रवेश, वर्ष 2015-16 से कानपुर में हुई थी शुरुआत
कानपुर में स्कूल से संबंधित प्रतीकात्मक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। जब निश्शुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की बात की जाती है तो आमतौर पर बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही ही सामने आती है। हालांकि अगर आरटीई के तहत जिले में होने वाले प्रवेश संबंधी आंकड़ों को देखें तो हकीकत कुछ और ही है। विभाग की ओर से पिछले छह वर्षों में जो आंकड़े तैयार किए गए, उनके मुताबिक प्रवेश में 28 गुना तक इजाफा हुआ। वर्ष 2015-16 से जिले में प्रवेश की शुरुआत हुई थी, उस सत्र में महज 67 बच्चों को ही दाखिला मिला था। जबकि सत्र 2020-21 में कोरोना महामारी के बीच यह आंकड़ा 1919 बच्चों तक पहुंच गया। यही नहीं, सत्र 21-21 की पहली लॉटरी में 3525 बच्चों ने अपनी जगह बनाई है। 

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ऑनलाइन होने के बावजूद साढ़े छह हजार से अधिक आवेदन: सत्र 21-22 में आरटीई से प्रवेश की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया। जो अभिभावक फॉर्म नहीं भर सकते थे, उनके फॉर्म विभागीय कर्मियों ने भरे। इसका परिणाम यह रहा कि सत्र 21-22 में जो पहले चरण में आवेदन हुए, उसमें 6583 फॉर्म भरे गए। यह संख्या पिछले छह वर्षों में सर्वाधिक रही।

इनका ये है कहना

अगर निजी स्कूल साथ दें, तो हर साल यह आंकड़ा  बढ़ सकता है। आरटीई से प्रवेश लेने वाले बच्चे अधिक हैं, पर स्कूलों की मनमानी के चलते वह दाखिला नहीं ले पाते हैं।  - डॉ.पवन तिवारी, बीएसए

एक नजर आंकड़ों पर

सत्र        कुल प्रवेश हुए 

2015-16       67 

2016-17       254

2017-18       434

2018-19       834

2019-20       1336

2020-21       1919 


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