रोडवेज कराएगा चालकों का ड्राइविंग टेस्ट
प्रदेश के बीस परिवहन परिक्षेत्र के लिए 60 करोड़ रुपये मंजूर, बस दुर्घटना से विभाग को हर वर्ष औसतन 70 करोड़ की चपत
जागरण संवाददाता, कानपुर : बस दुर्घटना के चलते हर वर्ष उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को करोड़ों रुपये की चपत लग रही है। मुआवजे में गई राशि के पिछले पांच वर्षो के आंकड़ों ने परिवहन निगम की चिंता बढ़ा दी है। इन आंकड़ों के मुताबिक हर वर्ष औसतन 70 करोड़ रुपये मुआवजे में बंट रहे। इसे देखते हुए परिवहन निगम ने अब अपने चालकों की ड्राइविंग टेस्टिंग के लिए अलग ट्रैक बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए 60 करोड़ रुपये स्वीकृत भी हो गए हैं।
पिछले सप्ताह परिवहन निगम के अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें प्रबंध निदेशक पी गुरु प्रसाद के समक्ष मुआवजे में खर्च हो रहे धन का आंकड़ा भी सामने आया। बैठक में शामिल रहे रोडवेज ट्रेनिंग सेंटर के प्रधानाचार्य धनजी राम के मुताबिक इस खर्च से बचने के लिए तय किया गया कि रोडवेज चालकों को आधुनिक तरीके से प्रशिक्षित कर पूरी तरह दक्ष बनाया जाए। इसके लिए प्रदेश के सभी परिक्षेत्र में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाएंगे।
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इंसेट..
टेस्टिंग ट्रैक की व्यवस्था
ø 60 सेंसर के बीच चलानी होगी बस
ø चालक की गलतियां पकड़कर कंप्यूटर बताएगा
ø चढ़ाई पर कैसे बस चढ़ाएं, इसकी जानकारी देने वाले उपकरण लगेंगे।
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इंसेट..
टेस्ट में फेल तो लंबी दूरी से हटेंगे चालक
टेस्टिंग ट्रैक पर अगर चालक परफेक्ट नहीं पाया जाएगा तो उसे लंबी दूरी की बस चलाने से रोक दिया जाएगा। 200 किमी दूरी तक ही बस चलाने के लिए दी जाएगी। चालक को कई दिनों तक ट्रेनिंग देने के बाद फिर लंबी दूरी की बस दी जाएगी।
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प्रदेश के दस परिक्षेत्र में टेस्टिंग ट्रैक बनाए जाएंगे। इसके लिए 60 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। इस टेस्टिंग ट्रैक का मुख्य उद्देश्य अपने चालकों को ड्राइविंग में परफेक्ट करना है।
-धनजी राम, प्रधानाचार्य, रोडवेज ट्रेनिंग सेंटर