Reverse Migration: कंपनियों से आया बुलावा तो दर्द भूल प्रवासी श्रमिकों ने फिर की रवानगी की तैयारी
Migration In Lockdown गुरुग्राम के मानेसर स्थित मारुति सुजुकी प्लांट में काम करने के लिए श्रमिक बुलावा आने पर फिर रवाना हो गए हैं।
इटावा, [राजकिशोर गुप्ता]। अगर इस जहां में मजदूर का न नामोनिशां होता, फिर न होता ताजमहल और न ही शाहजहां होता...। इन पंक्तियों पर लॉकडाउन ने सच की मुहर लगा दी है। तमाम जद्दोजहद के बाद घर लौटे मजदूरों के पास फैक्ट्रियों से बुलावा आने लगा है। फैक्ट्रियों व कंपनियों से बुलावा आने के बाद मजदूर सारा दुख-दर्द भूल गए और जाने का फैसला कर लिया है। शुक्रवार देर शाम गुरुग्राम स्थित मानेसर के मारुति प्लांट में काम करने वाले ऊसराहार के कई मजदूर बस से रवाना भी हो गए।
दो माह का वेतन भी दिया
गुरुग्राम रवाना होने से पूर्व ताखा ब्लॉक के नगला गंगे निवासी शिवमंगल प्रजापति एवं रिशु और चढऱौआ के गौतम व अंकुश शाक्य ने बताया कि मारुति प्लांट से काम पर वापस आने के लिए फोन आया। साथ ही सुरक्षा मानकों के साथ काम करने का आश्वासन दिया गया। जिसके बाद सभी ने कंपनी वापस जाने का मन बना लिया। बताया कि पिछले दो माह से वह घर पर हैं, कंपनी ने इस दौरान भी उन्हें प्रतिमाह साढ़े तेरह हजार रुपये के हिसाब से भुगतान किया है।
फोन आते ही कर ली जाने की तैयारी
नगला गंगे के शिवम प्रजापति दिल्ली में एक एक्सपोर्ट कंपनी में सुपरवाइजर हैं। लॉकडाउन में वह भी अपने कारीगरों के साथ घर वापस लौट आए थे। पिछले दिनों कंपनी के मालिक ने फोन कर उन्हें वापस आने के लिए कहा तो जाने की तैयारी कर ली। शिवम ने बताया कि मालिक ने लॉकडाउन के दौरान का 15 हजार रुपये देने का वादा किया है। गुरुवार शाम वह अपने साथियों औरैया के बिधूना निवासी रामकुमार, आशीष कुमार व रामू के साथ बस से दिल्ली रवाना हो गए। इसी तरह बम्हनीपुर निवासी संजय कुमार दिल्ली के महिपालपुर में आरओ वाटर प्लांट में काम करते हैं। कई बार बुलावा आने पर वह भी दिल्ली चले गए। भरतपुर खुर्द ग्राम पंचायत के पालन अड्डा में रहने वाले सिलाई कारीगर रामवीर भी परिवार को घर पर छोड़कर दिल्ली रवाना हो गए।