Move to Jagran APP

राजस्व कर्मियों का कारनामा, जिंदा को मुर्दा बताकर दूसरे के नाम कर दी जमीन Kanpur News

दस्तावेज पर कानूनगो के भी हस्ताक्षर घाटमपुर तहसील बार एसोसिएशन के मंत्री की शिकायत पर तहसीलदार ने कराई थी जांच।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 09:22 AM (IST)
राजस्व कर्मियों का कारनामा, जिंदा को मुर्दा बताकर दूसरे के नाम कर दी जमीन Kanpur News
राजस्व कर्मियों का कारनामा, जिंदा को मुर्दा बताकर दूसरे के नाम कर दी जमीन Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। घाटमपुर तहसील में जिंदा लोगों को मृत दिखाकर भूमि हड़पने का बड़ा मामला सामने आया है। राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से एक दो नहीं बल्कि चार लोगों की जमीन का फर्जी वरासत के आधार पर, दूसरे को वारिस बना दिया गया। हैरानी की बात तो ये है कि इन दस्तावेजों पर कानूनगो के भी हस्ताक्षर हैं। हालांकि उन्होंने अपने हस्ताक्षर होने से इन्कार करते हुए इसे फर्जीवाड़ा करार दिया है।

loksabha election banner

तीनों वरासत में अलग-अलग दर्शाया गया पता

तहसील बार एसोसिएशन के मंत्री प्रशासन पंकज कुमार की शिकायत पर तहसीलदार की ओर से कराई गई जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया है। दरअसल राजस्व कर्मियों ने मिलीभगत कर नौरंगा सर्किल के कैथा गांव निवासी अमरनाथ सचान, सियादेवी और राजदेवी को राजस्व अभिलेखों में मृत दर्शाया था। इनकी भूमि महेंद्र पुत्र अंगू के नाम वरासत के आधार पर दाखिल खारिज कर दी गई। बचने के लिए तीनों वरासत में महेंद्र का पता अलग-अलग दर्शाया गया था। अमरनाथ की जमीन के लिए महेंद्र को गूजा गांव का निवासी बताया गया। वहीं राजदेवी की जमीन के लिए सीहपुर गांव और सियादेवी की भूमि के लिए महेंद्र का नाम खतौनी में दर्ज किया गया, लेकिन पता नहीं लिखा गया। इस पूरी प्रक्रिया में मृत्यु प्रमाण पत्र, वारिस का आधार कार्ड आदि भी पत्रावलियों में लगाना चाहिए था, लेकिन इस नियम को ठेंगा दिखा गया। तहसीलदार ने मामले की जांच कराई तो अभिलेखों में राजस्व निरीक्षक (कानूनगो) अनुपमा सेंगर के हस्ताक्षर भी मिले। इसके बाद तहसीलदार विजय यादव ने सभी वरासत रद कर दीं।

'मुर्दा' काट रहा कार्यालयों के चक्कर

राजस्व कर्मियों ने नगर के मोहल्ला कटरा निवासी गुलाम मोहम्मद को मृत दर्शाकर राजस्व गांव सिहारी देहात में स्थित उनकी कृषि भूमि को पड़ोस में रहने वाले अजमेरी कुरैशी और यासमीन का नाम वरासत में दर्ज करा दिया। यह फर्जीवाड़ा छह दिसंबर 2017 को किया गया था, जबकि अजमेरी और यासमीन का गुलाम मोहम्मद से कोई रिश्ता नहीं है। अभिलेखों में मुर्दा गुलाम मोहम्मद अपने पुत्र सईक व सईद के साथ खुद को जिंदा साबित करने के लिए तहसील के चक्कर काट रहे हैं।

रिपोर्ट लिखाने के सवाल पर चुप्पी साध गईं कानूनगो

जिंदा लोगों को मृत दिखाकर जमीन हड़पने के लिए जितने दस्तावेज बनाए गए उन पर सभी कानूनगो अनुपमा सेंगर के हस्ताक्षर हैं। हालांकि उन्होंने सभी हस्ताक्षर फर्जी बताए हैं, जब उनसे राजस्व कर्मियों पर रिपोर्ट लिखाने के बारे में पूछा गया तो वे चुप्पी साध गईं।

ये है वरासत की प्रक्रिया

जब भी किसी किसान की मृत्यु होती है तो उसके वारिस के नाम भूमि या भवन वरासत के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज किए जाते हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ वारिस आवेदन करते हैं। लेखपाल व कानूनगो जांच करते हैं और बैठक में नाम पढ़ा जाता है। इसके बाद बाद राजस्व अभिलेखों में नया नाम दर्ज किया जाता है। इन मामलों में यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

इनका ये है कहना

अमरनाथ, राजदेवी, सियादेवी और गुलाम मोहम्मद को अभिलेखों में मृत दिखाया गया था, जबकि ये जिंदा हैं। इनकी जमीन की हुई वरासत को रद कर दिया गया है। जांच में जो भी दोषी होगा उस कार्रवाई की जाएगी।

-विजय यादव, तहसीलदार

जिंदा लोगों को मुर्दा बताकर दूसरे के नाम जमीन दर्ज कराने का खेल काफी दिनों से चल रहा है। ऐसे मामले सैकड़ों की तादाद में हैं।

-पंकज कुमार, शिकायकर्ता

बार एसोसिएशन के पदाधिकारी की शिकायत पर तहसीलदार विजय यादव को जांच सौंपी गई है। कुछ मामले पकड़ में आए हैं। तथ्यों के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-वरुण पांडेय, एसडीएम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.