सीएसए ने खोजी 15 फीसद अधिक पैदावार गेहूं, अलसी, जौ, राई की नई प्रजाति
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में गेहूं, अलसी, जौ और राई की नई प्रजातियां विकसित हुई हैं।
कानपुर (जेएनएन)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) में गेहूं, अलसी, जौ और राई की नई प्रजातियां विकसित हुई हैं। उन्हें प्रमाणिकता के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के पास भेजा गया है। ये जहां बीमारियों से लडऩे में सक्षम हैं, वहीं हर मौसम में अधिक उपज वाली हैं। इनसे पैदावार 10-15 फीसद तक बढ़ जाएगी।
कृषि विश्वविद्यालयों से चारों प्रजातियों को हरी झंडी
देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों से चारों प्रजातियों को पहले ही हरी झंडी मिल चुकी है। आइसीएआर की स्वीकृति के बाद वैराइटी रिलीज कमेटी इसकी प्रमाणिकता पर मुहर लगाएगी। सीएसए के निदेशक शोध प्रो. एचजी प्रकाश ने बताया कि फसलों की नई प्रजातियों पर लगातार काम चल रहा है। गेहूं, अलसी, जौ और राई की नई प्रजातियां विकसित हुई हैं। उन्हें आइसीएआर के पास प्रमाणिकता के लिए भेजा गया है।
विवि की लैब में तैयार हुए बीज
सीएसए की अत्याधुनिक लैब में तीनों फसलों के जनक बीजों में रासायनिक परिवर्तन कर उनसे उन्नत बीज तैयार किए गए हैं। उन्हें सबसे पहले विवि के अंतर्गत आने वाले 23 जनपदों में परखा गया। कुलपतियों के सम्मेलन में 15 साल पुरानी प्रजातियों पर पाबंदी का ड्राफ्ट तैयार हुआ है। उसे अनुमोदन के लिए जल्द से जल्द सरकार के पास भेजा जाएगा।
कम पानी में बेहतर उत्पादन
विकसित की गई गेहूं, अलसी, जौ, राई की प्रजातियों में सबसे खास विशेषता है कि यह कम पानी में भी बेहतर उत्पादन क्षमता देगी। कृषि वैज्ञानिक पहली बार इस तरह की टेस्टिंग करने जा रहे हैं। फसलों की चारों प्रजातियों को सिर्फ जैविक खाद पर ही उगाया जाएगा।
क्या हैं प्रजातियों के नाम
- गेहूं- के 1317
- जौ- के 1050
- अलसी- नामकरण नहीं
- राई- नामकरण नहीं
100 से अधिक प्रजातियां विकसित
विवि ने अब तक 100 से अधिक प्रजातियां विकसित की हैं। इसमें सबसे अधिक गेहूं, आलू, सरसों की हैं।