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एक पखवाड़े बाद भी रिफंड का शासनादेश लागू नहीं

रिफंड के आवेदन प्रोसेस होने के बाद भी आगे नहीं बढ़ रहे, वाणिज्य कर मुख्यालय रोज मांग रहा आवेदनों की संख्या

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 01:05 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 01:05 PM (IST)
एक पखवाड़े बाद भी रिफंड का शासनादेश लागू नहीं

जागरण संवाददाता, कानपुर : रिफंड को लेकर एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार के स्तर से लगातार चिंता जताई जा रही है दूसरी ओर एक पखवाड़ा गुजर जाने के बाद भी प्रदेश में रिफंड का शासनादेश ही लागू नहीं किया गया है। इसके चलते कोषागार से भुगतान नहीं हो रहे। वाणिज्य कर मुख्यालय लगातार आवेदनों की संख्या मांग रहा है पर रिफंड के आवेदन हैं कि प्रोसेस होने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

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जीएसटी में 30 जून तक मैनुअल रिफंड के आदेश किए गए थे। माना गया था कि इस समय तक सबकुछ ऑनलाइन हो जाएगा और ऑनलाइन आवेदन पर ही रिफंड होने लगेंगे पर अभी तक सबकुछ ऑनलाइन नहीं हुआ। इसलिए ऑनलाइन फीडिंग के साथ रिफंड के लिए आवेदन की हार्डकापी भी मांगी जाती है। 30 जून तक जो हार्डकापी ट्रेजरी पहुंच गईं उनका तो भुगतान हो गया लेकिन उसके बाद से अब शासनादेश न होने की वजह से रिफंड नहीं हो पा रहा है। एक पखवाड़े से ऊपर समय गुजरने के बाद भी रिफंड न होने से उद्यमी व कारोबारी परेशान हैं।

कानपुर से नहीं भेजे रसीद के प्रमाण

रिफंड न होने पर केंद्र स्तर से जताई गई नाराजगी के बाद 22 जून को सभी जोन को निर्देश दिए गए थे कि रिफंड का अलग काउंटर बनाकर रसीद जारी की जाए और उनकी जानकारी मुख्यालय को रोज दी जाए। तीन सप्ताह से ज्यादा गुजर जाने के बाद भी अभी तक कानपुर के दोनों जोन से इस तरह का कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया गया कि रिफंड प्रार्थना पत्रों को रसीद जारी कर दी गई है। इस पर वाणिज्य कर आयुक्त कामिनी चौहान रतन ने नाराजगी जताई है। उन्होंने बिना समय दिए यह प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं कि कारोबारियों के रिफंड प्रार्थनापत्र प्राप्त कर लिए गए हैं।

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खंड से प्रोसेस होने के बाद भी उपायुक्त प्रशासन के यहां रिफंड के फार्म नहीं लिए जा रहे हैं। इसकी वजह से सारे फार्म खंड में ही फंसे हुए हैं। इनकी संख्या 200 से ज्यादा है।

- उमंग अग्रवाल, प्रदेश महासचिव फैसिलिटेशन फार इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (फीटा)

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30 जून को शासनादेश समाप्त हो गया था, जिसकी वजह से रिफंड नहीं हो पा रहे हैं। अभी दोबारा शासनादेश नहीं आया है। जल्द आने की उम्मीद है।

-चंद्रकांत रल्हन, उपायुक्त (प्रशासन) वाणिज्य कर विभाग।


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