आइआइटी कानपुर की ब्लाकचेन तकनीकी पर प्रधानमंत्री ने दिए बाल पुरस्कार, स्मृति ईरानी ने निदेशक का जताया आभार
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार वर्चुअल कार्यक्रम में आइआइटी कानपुर की ओर से विकसित ब्लाकचेन तकनीकी का उपयोग करके डिजिटल प्रमाण पत्र दिए हैं। कार्यक्रम में वर्ष 2021-2022 के पुरस्कार विजेता अपने माता-पिता और जिलों के डीएम के साथ अपने जिला मुख्यालय से आनलाइन शामिल हुए।
कानपुर,जागारण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने 28 दिसंबर को दीक्षा समारोह में प्रधानमंत्री के हाथों अपनी ब्लाकचेन तकनीकी पर आधारित डिग्री और अन्य प्रमाणपत्र संस्थान के विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए थे। सोमवार को आइआइटी की मदद से इसी ब्लाकचेन तकनीकी पर प्रधानमंत्री ने देश भर के विद्यार्थियों राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 61 विजेता छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र दिए। इस दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने आइआइटी का आभार जताया। इस पर निदेशक ने उन्हें धन्यवाद दिया।
निदेशक के मुताबिक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पहली बार वर्चुअल कार्यक्रम में आइआइटी कानपुर की ओर से विकसित ब्लाकचेन तकनीकी का उपयोग करके डिजिटल प्रमाण पत्र दिए हैं। कार्यक्रम में वर्ष 2021 और 2022 के पुरस्कार विजेता अपने माता-पिता और संबंधित जिलों के डीएम के साथ अपने जिला मुख्यालय से आनलाइन शामिल हुए। हाल ही में संस्थान के दीक्षा समारोह के दौरान पहली बार छात्र-छात्राओं को ब्लाकचैन व स्वयं संप्रभु पहचान तकनीक के जरिए डिजिटल डिग्री और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए थे। यह प्रमाणपत्र मोबाइल उपकरणों पर स्थापित डिजिटल वालेट में संग्रहीत होते हैं। ब्लाकचेन तकनीकी से जारी किए गए डिजिटल प्रमाणपत्रों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है और यह विश्व स्तर पर सत्यापन योग्य होते हैं। यही नहीं, यह प्रमाणपत्र उपयोगकर्ता सामग्री के प्रति संवेदनशील हैं। उन्होंने संस्थान के प्रयासों की सराहना करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री को धन्यवाद दिया। साथ ही इस परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदेवर पांडे और उनकी टीम को भी धन्यवाद दिया।
संस्थान की इन्क्यूबेटेड कंपनी ने विकसित की थी तकनीकी
ब्लाकचेन तकनीकी आइआइटी की इन्क्यूबेटेड कंपनी क्रुबन की ओर से विकसित की गई थी। यह कंपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और संस्थान के सीथ्रीआइ हब की ओर से नेशनल ब्लाकचेन कार्यक्रम के तहत स्टार्टअप के रूप में शुरू की गई थी, ताकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा दिया जा सके। संस्थान के विशेषज्ञों ने बताया कि नवंबर व दिसंबर माह में संस्थान ने कर्नाटक सरकार और लखनऊ विकास प्राधिकरण के साथ ही उनके भूमि संबंधी रिकार्ड ब्लाकचेन आधारित प्रणाली पर तैयार करने के लिए करार भी किया था। इस पर अभी काम चल रहा है।