कानपुर में पुराने बंद अस्पतालों को दोबारा खड़ा करने से पस्त होगी कोरोना की तीसरी लहर
कानपुर शहर में नगर निगम के अस्पताल और डिस्पेंसरी ईएसआइ के अस्पताल निष्प्रयोज्य बंद पड़े हैं यदि इन्हें दोबारा संसाधनों से लैस कर दिया जाए तो कोरोना की तीसरी लहर से निपटने आसानी रहेगी। इन अस्पतालों में संसाधान और सुविधाओं का टोटा है।
कानपुर, जेएनएन। तीसरी लहर की आशंका को लेकर हर कोई सशंकित है। अभी से तैयारियां की जा रही हैं। विकल्प तलाशे जा रहे हैं, मगर, शहर में पुराने समय में सक्रिय स्वास्थ्य सेवाओं को ही अगर दोबारा से खड़ा कर दिया जाए तो किसी भी स्थिति से असानी से निपटा जा सकता है। नगर निगम के निष्प्रयोज्य खड़े अस्पताल व डिस्पेंसरी और ईएसआइ के अस्पतालों को सुविधा संपन्न कर दिया जाए तो सैकड़ों की संख्या में अतिरिक्त बेडों का इंतजाम हो सकता है।
नगर निगम : न स्टाफ न सुविधाएं, केवल इमारतें
नगर निगम के पास शहर में चाचा नेहरू अस्पताल, जागेश्वर अस्पताल और बीएनभल्ला तीन अस्पताल हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में नगर निगम की 41 डिस्पेंसरी हैं। मगर, अस्पतालों में स्टाफ की तैनाती न होने से यहां केवल इमारतें खड़ी हैं। सभी अस्पताल बेहतर हालत में हैं, जिन्हें सुविधाओं से युक्त करके दोबारा शुरू किया जा सकता है। चूंकि यहां कोई और काम नहीं है, ऐसे में बेड की संख्या दो गुनी से तीन गुनी तक बढ़ाए जाने की भी पर्याप्त संभावना है। हालांकि स्टाफ का इंतजाम करना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर होगा। अमूमन संक्रमण इसलिए फैला क्योंकि हल्का बीमार होने के बाद आम आदमी को इलाज के लिए भटकना पड़ा। अगर डिस्पेंसरी भी चालू की जा सकें तो मरीज को एक क्षेत्र में ही रोका जा सकता है।
हाल-ए-बेड
अस्पताल-बेड की संख्या
चाचा नेहरू अस्पताल- 100
जागेश्वर अस्पताल-75
बीएनभल्ला अस्पताल- 50
ईएसआसइ: सरकारी उदासीनता के शिकार
शहर में ईएसआइ के पांडु नगर, किदवई नगर, आजादनगर, सर्वोदय नगर और जाजमऊ में पांच अस्पताल हैं। इनमें से किदवई नगर और पांडु नगर को एल-1 कोविड अस्पताल का दर्जा भी दिया गया था, मगर स्टाफ की कमी के चलतेे यह संभव नहीं हो सका। जाजमऊ का अस्पताल ईएसआइ कारपोरेशन संचालित करता है, जबकि बाकी का संचालन ईएसआइ के हाथों में है। ईएसआइ के अस्पतालों में बेड हैं, कुछ अन्य सुविधाएं भी है, लेकिन सरकारी उदासीनता के चलते स्टॉफ की भारी कमी है। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में पांडु नगर में पांच, किदवई नगर में दो और सर्वोदय नगर में चार डॉक्टर ही हैं, जबकि किदवई नगर में 15, पांडु नगर में 21, सर्वोदय नगर में 16 डॉक्टरों के पद सृजित हैं। जिला प्रशासन को केवल मामली सुविधाएं बढ़ाकर यहां के लिए केवल स्टॉफ का इंतजाम करना होगा।
पांडु नगर: 500 करोड़ लगाए, लाभ शून्य
यह सरकारी उदासीनता ही है कि पांडु नगर के ईएसआइ अस्पताल परिसर में सालों पहले नया मेडिकल सेंटर स्थापित करने की योजना तैयार हुई थी। पहले यहां मेडिकल कॉलेज खोला जाना था, जिसे डेंटल मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित किया गया। बाद में ट्रामा सेंटर की बात चली। ट्रामा सेंटर के लिए नई इमारत बनकर खड़ी है, कई उपकरण भी खरीद लिए गए हैं। लेकिन अस्पताल का पता नहीं। इस योजना में तकरीबन 500 करोड़ रुपया खर्च कर दिया गया। स्टाफ के अलावा बेड व आक्सीजन सप्लाई का इंतजाम करके नई बिङ्क्षल्डग में करीब 150 बेड और पुरानी बिल्डिग में 150 बेड का कोविड अस्पताल आसानी से संचालित किया जा सकता है।