स्वच्छता के अभ्यास से अब भारत स्वस्थ बनने की ओर, गंभीर बीमारी पर लगी लगाम Kanpur News
कानपुर के राजकीय जेके कैंसर संस्थान में सात माह के सर्वे में पाया गया सर्वाइकल कैंसर के केस दस फीसद से नीचे रह गए।
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। स्वच्छता के अभ्यास से अब भारत स्वस्थ बनने की ओर बढ़ चला है। स्वच्छता का एक सुखद परिणाम महिलाओं के ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर में आई कमी के रूप में सामने है। कानपुर, उत्तर प्रदेश स्थित राजकीय जेके कैंसर संस्थान में हुए अध्ययन में साबित हुआ कि स्वच्छता को लेकर जागरूकता के चलते गर्भाशय-मुख (ग्रीवा) में होने वाले कैंसर के मामले तेजी से कम हुए।
संस्थान में तीन साल चलाए गए स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम के बाद किए गए अध्ययन के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां सर्वाइकल कैंसर के मामले 25-30 फीसद से घटकर 10 फीसद से भी नीचे आ गए हैं। सर्वाइकल कैंसर के 30 फीसद मरीज जेके कैंसर संस्थान में हर साल पंजीकृत होते थे। विलंब से आने की वजह से कैंसर काफी फैल चुका होता था। लेकिन मरीजों और मृतकों की संख्या में अब कमी दिखाई दे रही है।
संस्थान ने बताया कि संस्थान में स्वच्छता को लेकर जो जागरूकता अभियान चलाया गया, उसमें यहां आने वाली मरीजों, उनके परिजनों को सर्वाइकल कैंसर के कारणों और इस रोग से बचाव में साफ-सफाई की भूमिका के बारे में समझाया गया। अभियान का क्या असर रहा, इस पर संस्थान सात माह से सर्वे कर रहा है। इस दौरान सर्वाइकल कैंसर के पांच हजार संदिग्ध मरीज आए। उनकी आदतों, खानपान, साफ-सफाई को लेकर सवाल किए गए। जरूरी जांच कराई गई। इनमें से सिर्फ 110 में ही कैंसर की पुष्टि हुई।
ज्यादातर महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों या मलिन बस्ती की थीं। उनमें स्वयं की साफ-सफाई और खानपान के प्रति जागरूकता नहीं थी। चिकित्सकों ने बताया कि अनियमित मासिक धर्म समेत कई लक्षण हैं, जो कभी-कभी विलंब से सामने आते हैं। 45 से ऊपर की महिलाएं हर साल पेप्समीयर, काल्पोस्पोकी जांच जरूर कराएं। आसपास साफ-सफाई और शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें। मासिक धर्म के दौरान साफ-सुथरे पैड का इस्तेमाल करें।
--महिलाओं में स्वयं की सफाई के प्रति जागरूकता आने का ही यह नतीजा है कि 10 फीसद से भी कम नए मरीज पंजीकृत हुए हैं। इस बीमारी का सफाई से सीधा संबंध है, ऐसे में जिसने सफाई का ध्यान रखा, उसे यह समस्या नहीं आई। -प्रो. एमपी मिश्रा, निदेशक, राजकीय जेके कैंसर संस्थान, कानपुर