Move to Jagran APP

पॉलीथिन का प्रदूषण व शोर बना रहा मधुमेह रोगी

पॉलीथिन, प्लास्टिक, कीटनाशक का प्रदूषण तथा शोर की वजह से भी डायबिटीज (मधुमेह) हो रही है। अमेरिका में हुए विभिन्न रिसर्च में यह प्रमाणित हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 04:32 PM (IST)
पॉलीथिन का प्रदूषण व शोर बना रहा मधुमेह रोगी
पॉलीथिन का प्रदूषण व शोर बना रहा मधुमेह रोगी

जागरण संवाददाता, कानपुर : पॉलीथिन, प्लास्टिक, कीटनाशक का प्रदूषण तथा शोर की वजह से भी डायबिटीज (मधुमेह) हो रही है। अमेरिका में हुए विभिन्न रिसर्च में यह प्रमाणित हो चुका है। यह जानकारी मर्चेट चैंबर सभागार में कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन के तीसरे वार्षिक अधिवेशन कडाकॉन-2018 में धनबाद से आए डॉ. एनके सिंह ने दी।

loksabha election banner

उन्होंने बताया कि अधिक मीठा खाने या मोटे व्यक्तियों में डायबिटीज का खतरा रहता था। अब 20-30 साल की उम्र वाले दुबले-पतले और गांव में रहने वाले भी चपेट में आ रहे हैं। उनके ब्लड में शुगर का स्तर 300-400 तक रहता है। इसकी वजह खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक एवं रसायन हैं। इसके अलावा प्लास्टिक एवं पॉलीथिन से होने वाला प्रदूषण है। इनमें बिसथेलॉन ए नाम केमिकल पाया जाता है, जो पानी, सब्जियों एवं फलों के माध्यम से शरीर में जाता है। यह रसायन सीधे पैनक्रियाज (अग्न्याशय) को क्षति पहुंचाता है। इसके अलावा वाहनों के बेवजह हार्न बजाने से होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी वजह है। ध्वनि 60 डेसिबल से अधिक होने पर तनाव देती है। तनाव होने पर एड्रिनलिन केमिकल बनने लगता है, जो दूसरे हार्मोस से मिलकर स्ट्राइड बनाता है। यह भी पैनक्रियाज को प्रभावित करता है। इसके अलावा हाइपोग्लासिमिया की स्थिति, जिसमें शुगर की मात्रा सामान्य से घट जाती है। इसमें मरीज को बेचैनी, कंपन, धड़कन बढ़ना व पसीना आने लगता है। आंखों में धुंधलापन और बेहोशी भी संभव है। ऐसी स्थिति में 15 ग्राम ग्लूकोज पिलाने से आराम मिलता है। इंसुलिन लेने वाले मरीजों को नियमित शुगर की जांच करनी चाहिए। अमेरिका में हाइपोग्लासिमिया के मरीजों को पकड़ने के लिए कुत्तों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। हाइपोग्लासिमिया की स्थिति हाइड्रोकार्बन के आइसोप्रीन सांस में आने लगते हैं, जिन्हें कुत्ते पकड़ कर भौकने लगते हैं। इसमें डॉ. नंदिनी रस्तोगी, ब्रिज मोहन, डॉ. भास्कर गांगुली, डॉ. विपन श्रीवास्तव थे। पीपी शुगर अधिक होने से हार्ट का खतरा

कर्नाटक से आई डॉ. गीता देशपाण्डे ने बताया कि खाने के दो घंटे बाद की पीपी शुगर अधिक होने से हार्ट को खतरा है। हार्ट की आर्टरी में ब्लाकेज हो सकता है। हमारे भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड और फैट होता है। जिसमें प्रोटीन सबसे कम और कार्बोहाइड्रेड अधिक होता है। प्रोटीन अधिक और कार्बोहाइड्रेड कम होना चाहिए। ब्लड प्रेशर बढ़ना बीमारी नहीं

जमशेदपुर से आए अनिल विरमानी ने बताया कि ब्लड प्रेशर (बीपी) बढ़ना बीमारी नहीं है। हर व्यक्ति का बीपी अलग होता है। बीपी के साथ उम्र, डायबिटिज, खानपान और बीमारियों पर निर्भर करता है। भोजन में नमक कम और सब्जियां व फल शामिल करें। परहेज के बाद बीपी 130/80 है। तब दवाएं चला सकते हैं। इसमें जागरूकता व जीवनशैली में बदलाव जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.