सामान्य मनुष्य को बीमार बना रहे प्रदूषण के बारीक कण, कानपुर में सांस लेना हुआ मुश्किल
कानपुर शहर में प्रदूषण की मात्रा साढ़े चार सौ से अधिक होने के चलते सांस के रोगियों के लिए लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। धूल के बारीक कण सांसों के जरिए शरीर के अंदर जाकर फेफड़ों को संक्रमित करके लोगों को बीमार बना रहे हैं।
कानपुर,जेएनएन। शहर में बढ़ता प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। धूल व धुएं के बारीक कणों ने शनिवार को भी हवा में जहर घोल दिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन पर सुबह के वक्त पीएम-2.5 की औसत मात्रा माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब 456 दर्ज की गई जबकि सर्वाधिक मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब पर पहुंच गई। औसत मात्रा सामान्य मात्रा से 406 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब अधिक रही।
सीजन का रिकार्ड तोडऩे के दूसरे दिन प्रदूषण का स्तर कुछ कम जरूर हुआ है लेकिन यह अभी भी बेहर खतरनाक बना हुआ है। शहर में जगह-जगह हो रहे निर्माण कार्यों व सड़क पर वाहनों के दबाव के चलते प्रदूषण बढ़ रहा है। जहां एक ओर धूल के बारीक कण सांसों के जरिए फेफड़ों को संक्रमित कर रहे हैं वहीं धुएं से निकलने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोना ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें मनुष्य के जीवन के लिए घातक हैं।
जहां एक ओर पारा गिरने के साथ निचली सतह पर घूमते धूल व धुएं के बारीक कणों के कारण पीएम-2.5 की मात्रा दिन भर 450 के ऊपर रही वहीं एक समय यह मात्रा अधिकतम 500 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब तक पहुंच गई। पर्यावरणविदें का कहना है कि अगर शहर में प्रदूषण की हालत ऐसी ही रही तो आम आदमी के साथ पेड़ पौधों को बचाना भी मुश्किल हो जाएगा।
इस हफ्ते पीएम-2.5 की स्थिति
पांच दिसंबर: 456
चार दिसंबर: 467
तीन दिसंबर: 435
दो दिसंबर: 411
एक दिसंबर: 346
30 नवंबर: 308
29 नवंबर: 298
नोट-सभी मात्रा माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब में